________________ एसो अविग्गहाए गईइ समए अणंतरे चेव / पावइ जगस्स सिहरं खित्तं कालं च अफुसंतो // 948 // उड्डे बंधणमुक्को तहासहावत्तओ य सो जाइ / जह एरंडस्स फलं बंधणमुक्कं समुप्फिडइ . // 949 // परओ धम्माभावा तस्स गई नत्थि कम्ममुक्कस्स / होइ अहम्मेण ठिई साइ-अणंतं च सेकालं / // 950 // इह देहतिगं मुत्तुं सिज्झइ गंतुं तहिं सहावत्थो। चरिमतणुतिभागूणं अवगाहमुवेइ जीवघणं // 951 // ईसीपब्भाराए सीयाए जोयणेण लोगंतो। सिद्धाणोगाहणया उक्कोसं कोसछब्भाए - // 952 // तइलोयमत्थयत्थो सो सिद्धो दव्व-पज्जवसमेयं / जाणइ पासइ भगवं तिकालजुत्तं जंगमसेसं // 953 // भावे सम-विसमत्थे सूरो जुगवं जहा पयासेइ / लोगमलोगं च तहा केवलनाणं पयासेइ .. // 954 // गयराग-दोस-मोहो विगयभओ तह निरुस्सुगो मइमं / बहुजणपरिगीयगुणो नमंसणिज्जो तिलोयस्स // 955 // जं नत्थि सव्वबाहाओ तस्स, सव्वं पि जाणइ जयं सो। जं च निरुस्सुगभावो परमसुही तेण सुपसिद्धो // 956 // परमिड्ढीपत्ताणं मणुयाणं नत्थि तं सुहं लोए / अव्वाबाहमणुवमं जं सुक्खं तस्स सिद्धस्स // 957 // देविंद-चक्कवट्टी इंदियसुक्खं च जं अणुहवंति। . तत्तो अणंतगुणियं अव्वाबाहं सुहं तस्स // 958 तीसु वि कालेसु सुहाणि जाणि पवराणि नर-सुरिंदाणं / ताणेगसिद्धसुक्खस्स एगसमयम्मि नऽग्घंति / // 959 // 158