________________ ते धण्णा सप्पुरिसा तेहिं सुलद्धं च माणुसं जम्मं / आराहणा भगवई पडिवण्णा जेहिं संपुण्णा // 888 // ते सूर ते धीरा पडिवज्जिय जेहिं संघमज्झम्मि। आराहणापडाया सुहेण गहिया चउक्खंधा // 889 // किं नाम तेहिं लोए महाणुभावेहिं हुज्ज नो लद्धं ? / आराहिंतेहिं इमं महग्घमाराहणारयणं // 890 // ते वि सउण्णा जे तस्स सुद्धमाराहणं पसाहिति / जम्मे जम्मे पाविति ते वि आराहणं परमं // 891 // आराहयं मुणिं जे. सेवंति नमंति भत्तिसंजुत्ता / आराहणाफलमिणं सुगइसुहं ते वि पार्विति // 892 // एयं पच्चक्खाणं सवियारं वण्णियं सवित्थारं। इत्तो भत्तपरिण्णं लेसेण भणामि अवियारं // 893 // अपरक्कमस्स मुणिणो भत्तपरिण्णं भणंति अवियारं / काले अपहुप्पंतम्मि तं पि तिविहं समासेणं // 894 // पढमं जाण निरुद्धं निरुद्धतरयं च भण्णए बीयं / / परमनिरुद्धं तइयं, तेसिं सरूवं पुण भणामि // 895 // जंघाबलपरिहीणो रोगाऽऽयकहिं करिसियसरीरो / तस्स मरणं निरुद्धं भणियमणीहारिमें पढमं // 896 // तम्मि य पुव्वुत्तविही, दुविहं तं पि य पयासमपयासं / जणनायं तु पयासं जणे अविनायमपयासं // 897 // वाल-ऽग्गि-वग्घमादीहिं सूल-मुच्छा-विसूइयाईहिं / नच्चा संवट्टिजंतमाउयं सिग्घमेव मुणी // 898 // जाव न वाया अक्खिवइ, जाव चित्तं न होइ अक्खित्तं / . सण्णिहियाणाऽऽलोवइ गणिमादीणं पि सो तत्थ // 899 // 153