________________ कंदप्प-देवकिब्बिस-अभिओगा आसुरी य सम्मोहा / इयदुट्ठभावणमया सुरा वि ते तारिसा हुंति .. // 864 // एवं कालगयस्सा सरीरमंतो व हुज्ज बाहिं वा / जइ अंतो निज्जवगा इमेण विहिणा विगिचंति // 865 // जत्थेव मासकप्पं वासावासं व नाम ठायति / पढम चिय गीयत्था तत्थ महाथंडिलं पेहे // 866 // दिसि अवरदक्खिणा दक्खिणा य अवरा य दक्खिणापुव्वा / अवरुत्तरा य पुव्वा उत्तरपुव्वुत्तरा चेव // 867 // पढमाइ अण्ण-पाणं सुलहं, बीयाइ दुल्लहं होइ / उवही पुण तइयाए, नत्थि चउत्थीइ सज्झाओ // 868 // पंचमियाए कलहो, गणभेओ तेसिं होइ छट्ठीए / सत्तमदिसि गेलण्णं मरणं पुण अट्ठमीए उ // 869 // पढमदिसावाघाए बीयादीणं पि सो गुणो भणिओ। कमसो सव्वासु, तओ तीए, महाथंडिले पेहे . // 870 // जं वेलं कालगओ तं वेलंगुट्ठमादि बंधिज्जा / छेयण जग्गण वसहा कुणंति धीरा सुयरहस्सा // 871 // वंतरमादी व तयं देहमहिढेज्ज तेण वुट्ठिज्जा / आगमविहिणा धीरेहिं उवसमो तस्स कायव्वो // 872 // दोण्णि य दिवड्डभोए दब्भमया पुत्तला उ कायव्वा / समभोगे पुण एगो, अवड्डभोगे न कायव्यो // 873 // तिण्णेव उत्तराई पुणव्वसू रोहिणी विसाहा य / एते छनक्खत्ता पणयाल मुहुत्तसंजोगा // 874 // सयभिसया भरणीओ अद्दा अस्सेस साइ जिट्ठा य / छ इमे पुणद्धभोगा समभोगा सेसनक्खत्ता // 875 // 151