________________ जे वि उ जहणियं तेउलेसियाऽऽराहणं पवज्जंति / ते वि जहण्णेणं चिय लहंति सोहम्मदेविड्डेि // 852 / भोगे अणुत्तरे भुंजिऊण तत्तो चुया सुमाणुस्से / इड्ढिमउलं चइत्ता चरंति जिणदेसियं धम्म // 853 / सइमंता धीमंता सद्धा-संवेय-वीरिओवगया। .. जित्ता परीसहचमुं उवसागरिऊ अभिभवित्ता . // 854 / सुक्कल्लेसमुवगया सुक्कंज्झाणेण खवियकम्मंसा / उम्मुक्ककम्मकवया उविति सिद्धिं धुर्यकिलेसा // 855 // एवं संथारगओ विसोहइत्ता वि दंसण-चरित्तं / परिवडइ पुणो कोई झायंतो अट्ट-रोदाई // 856 / जइ ता सुभावियप्पा वि चरिमकालम्मि संकिलेसेण / परिवडइ वेयणट्टो. खवओ संथारमारूढो // 857 / किं पुण जे ओसण्णा निच्चं जे यावि हुंति पासत्था / नीया य कुसीला वि य अभावियप्पा न सीयंति ? // 858 / अविसुद्धभावदोसा कसायकलुसा पवड्ढियामरिसा / अच्चासायणसीला मायाबहुला नियाणकडा . ___ // 859 / अणियत्तगंथतण्हा बहुमोहा सवससेवणाऽऽसत्ता / सद्दाइविसयगिद्धा पडिसिद्धाऽऽसेविणो लुद्धा // 860 / परलोयनिप्पिवासा इहलोए चेव सुट्टपडिबद्धा / सव्वेसु य मूलुत्तरगुणेसु निच्चं अतिंचरंता // 861 / एवं समायमोसा अवंतदोसा करिति जे कालं / ते देवदुब्भगत्तं मायामोसेण पाविति // 862 / "किं मज्झ ?' निरुच्छाहा हवंति जे सव्वसंघकज्जेसु। ते देवसमिइबज्झा दुप्पिच्छा हुति सुरमिच्छा // 863 / 150