________________ // 72 // // 73 // // 74 // // 75 // // 76 // // 77 // कम्ममसंखिज्जभवं खवेइ अणुसमयमेव आउत्तो / अन्नयरम्मि वि जोगे काउस्सग्गे विसेसेणं कम्ममसंखिज्जभवं खवेइ अणुसमयमेव आउत्तो / अन्नयरम्मि वि जोगे वेयावच्चे विसेसेणं कम्ममसंखिज्जभवं खवेइ अणुसमयमेव आउत्तो / अन्नयरम्मि वि जोगे विसेसओ उत्तमट्ठम्मि ठाणं पुण केरिसयं होइ पसत्थं परिन्निसाहुस्स? / भन्नइ जत्थ न हुज्जा धम्मज्झाणस्स वाघाओ गंधव्व-नट्ट-हय-गय-तिलपिल्लण-उच्छुजंतसालासु / कुंभार-चट्ट-लोहार-लंख-कल्लालठाणेसु चारग-भोजग-वुणकर-छिपग-चरडाइयाण आसन्ने / आराम-देउलेसुं पुष्फोद-फलाइठाणेसु कंदप्प-गीय-विकहाइएहिं झाणस्स होइ वाघाओ / सिद्धतनिसिद्धेसुं ठाणेसु न तेण ठाएज्जा . इंदियपडिसंचारो मणसंखोभकरणं जहिं नत्थि / चाउस्सालाई दुवे अणुनवेऊण ठायंति पाणगजोगाहारे ठविति से तत्थ जत्थ न उइंति / अप्परिणया व सो वा अप्पच्चय-गहिरक्खट्ठा भुत्तभोगी पुरा जो वि गीयत्थो वि य भाविओ। संतेसाहारधम्मेसु सो वि खिप्पं तु खुब्भए पडिलोमा वऽणुलोमा विसया जत्थ दूरओ / ठवित्ता तत्थ से निच्चं कहणा जाणगस्स वि संथारो उत्तिमढे अझुसिर-अप्फुडियभूमितलरूवो / एवं सिलामओ वा अहवेगंगियफलगरूवो. // 78 // // 79 // // 80 // // 81 // // 82 / / // 83 //