________________ खवयस्स इच्छसंपायणेण देहपडिकम्मकरणेण / अन्नेहिं वा उवाएहिं सो समाहिं कुणइ तस्स // 60 // जाणइ फासुयदव्वं खवगस्स हियं च तह उइन्नाणं / जाणइ पडियारं वाय-पित्त-सिंभाण गीयत्थो // 61 // अहवा सुइपाणं से तहेव अणुसट्ठिभोयणं देइ / तण्हा-छुहाकिलितो वि होइ झाणे अवक्खित्तो . // 62 // .. तम्हा गीयत्थाणं पवयणसंगहियसव्वसाराणं / पामूले कायव्वा खवगेणं उत्तमट्ठविही / . // 63 // तह य असंविग्गाणं गीयत्थाण वि न चेव पामूले / .. अणसणविही विहेया खवगेणं जेणिमे दोसा // 64 // नासेइ असंविग्गो चउरंगं सव्वलोयसारंगं / नटुम्मि उ चउरंगे न हु सुलहं होइ चउँरंगं // 65 // आहाकम्मियपाणग-पुप्फासीया य बहुजणे नायं / सिज्जा संथारो वि य उवही वि य होइ अविसुद्धो // 66 // एए अण्णे य तहिं बहवे दोसा य पच्चवाया य / खवगस्स उत्तमढे हुंति असंविग्गपासम्मि // 67 // पंच व छ व सत्तसए अइरेगं वा वि जोयणाणं तु / संविग्गपायमूलं परिमग्गिज्जा अपरितंतो // 68 // एक व दो व तिन्नि व उक्कोसं बारसेव वासाइं। संविग्गपायमूलं परिमग्गिज्जा अपरितंतो // 69 // तम्हा संविग्गाणं पासे सिद्धंतसारजुत्ताणं / खवगेण उत्तमढे कायव्वं कम्मखवणट्ठा कम्ममसंखिज्जभवं खवेइ अणुसमयमेव आउत्तो। . अन्नयरम्मि वि जोगे सज्झायम्मी विसेसेणं - // 71 // - // 70 //