________________ धम्मं चउप्पयारं, सुक्कं च चउन्विहं किलेसहरं / संसारदुक्खभीओ झायइ झाणाई सो दुण्णि // 804 // न परीसहेहिं संताविओ वि झाएइ अट्ट-रुदाई / सुट्ठवहाणविसुद्धं पि अट्ट-रुद्दाइं नासिति // 805 // अमणुण्णसंपओगे इट्ठविओगे परीसहनिवाए। तिरियगइपहपयट्ट अट्टं झाणं जिणा बिति / / 806 // हिंसाऽलिय-चोरिक्काणुबंधिसारक्खणं विसयहेउं / तिव्वकसायरउदं रोदं झाणं समासेणं / // 807 // अट्टे चउप्पयारे रोद्दम्मि चउव्विहम्मि जे भेया / ते सव्वे परियाणइ संथारगओ तओ खवओ // 808 // तो भावणाहिं भावियचित्तो झाएइ धम्मझाणं सो। सुद्धाहिं नाण-दंसण-चरित्त-वेग्गरूवाहिं // 809 // पढमं आणाविचयं अवायविचयं विवायविचयं च। संठाणविचय चरिमं धम्मज्झाणं झियाइ मुणी // 810 // पउणमणवज्जमणुवममणाइनिहणं महत्थमवहत्थं / हियमजियममियमवितहमविरोहममोहमोहहरं // 811 // गंभीरममयसुहयं सुइसुहयमबाहयं महाविसयं / निउणं जिणाण आणं चितेइ अचिंतमाहप्पं // 812 // इंदिय-विसय-कसायाऽऽसवाइकिरियासु वट्टमाणस्स / नरयाइभवावासे विविहावाए विचितेइ // 813 // मिच्छत्ताइनिमित्तं सुहाऽसुहं पयइमाइ बहुबंधं / . . कम्मविवागं चिंतइ तिव्वं मंदाणुभावं सो // 814 / / पंचऽस्थिकायमइयं लोगमणाइनिहणं जिणक्खायं / तिविहमहोलोगादी दीव-समुद्दाइ चिंतेइ - // 815 // 146