________________ धूलाइऊण पुव्वं माणी संतो परीसहारीहिं। आवडियमित्तगो चेव को विसण्णो हवइ साहू ? // 732 // धूलाइयस्स कुलजस्स माणिणो रणमुहे वरं मरणं / न य लज्जणयं काउं जावज्जीवं पि जणमज्झे // 733 // समणस्स माणिणो संजयस्स निहणगमणं पि होड़ वरं / न य जंपणयं काउं कायरया-दीण-किवणत्तं // 734 // इक्कस्स कए नियजीवियस्स को जंपणं करिज्ज नरो? / पुत्त-पपुत्तादीणं रणे पलाणो सुणहलंछं . // 735 // तह अप्पणो कुलस्स य संघस्स य मा हु जीवियत्थीओ / कुणसु जणे जंपणयं किवणत्तणयं सुणहलंछं // 736 // जइ नाम तहऽण्णाणी संसारपवड्वणाइ लेसाए / तिव्वाइ वेयणाए वि समाउल(? ला) तह करिति धिइं // 737 // किं पुण जइणा संसारसव्वदुक्खक्खयं करितेणं / बहुतिव्वदुक्खरसजाणएण न धिई करेयव्वा ? .. // 738 // मेरु व्व निप्पकंपा अक्खोभा, सायरो व्व गंभीरा / धीमंतो सप्पुरिसा हुंति महल्लावईहिं पि. // 739 // धीरा विमुक्कसंगा आयारोवियभरा अपरिकम्मा / गिरिपब्भारमइगया बहुसावयसंकडं भीम // 740 // धीधणियबद्धकच्छा अणुत्तरविहारिणो सुहसहाया / साहिति उत्तिमटुं सावयदाढंतरगया वि // 741 // भल्लंकीइ अकरुणं खज्जंतो घोरवेयणऽट्टो वि। . आराहणं पवण्णो झाणेण अवंतिसुकुमालो // 742 // मुग्गिल्लगिरिम्मि सुकोसलो वि सिद्धत्थदइयओ तइया / वग्घीए खज्जंतो पडिवण्णो उत्तिमं अटुं // 743 // 140