________________ परिहरसु तओ तासिं दिट्ठी दिट्ठीविसस्स व अहिस्स / जं रमणिनयणबाणा चरित्तपाणे विणासंति // 636 // मारेइ इक्कसि चिय तिव्वविसभुयंग-वग्घसंसग्गी। इत्थीसंसग्गी पुण अणंतखुत्तो नरं हणइ // 637 // महिलासंसग्गीए अग्गीय व जं च अप्पसारस्स / मयणं व मणो मुणिणो वि हंत ! सिग्घं चिय विलाई // 638 // इय गुण(गण)मूलग्गिं थीसंसग्गिं च जो परिच्चयइ / स सुहेण बंभचेरं नित्थरइ जसं च वित्थरइ . // 639 // जइ वि परिचत्तसंगो तवतणुयंगो तहा वि परिवडइ / महिलांसंसग्गीए उवकोसघरुस्सिओ व्व रिसी // 640 // मुणिवर ! मेहुणसण्णा जइ हुज्ज कयाइ मोहदोसेण / ता हुज्जसूवउत्तो पंचविहे इत्थिवेरग्गे' // 641 // जायं पंकम्मि जलम्मि वड्डियं पंकयं जह न तेण / लिप्पड़, मुणी वि एवं थीपंकजलाउले लोए . // 642 // मायागहणे बहुदोससावए अलियदुमगणे भीमे। असुइकडिल्ले वि(?य) मुणी मुज्झति न इत्थिरण्णम्मि // 643 // सिंगारतरंगाए विलासवेलाइ जुव्वणजलाए / पहसियफेणाइ मुणी नारिनईए न वुब्भंति . // 644 // विसयजलं मोहकलं विलास-बिब्बोयजलयराइण्णं / मयमयरं उत्तिण्णा तारुण्णमहण्णवं धीरा // 645 // अभिंतर बाहिरए सव्वे गंथे तुमं विवज्जेहि। कय-कारिय-ऽणुमईहिं काय-मणो-वयणजोगेहिं // 646 // मिच्छत्तं वेयतिगं जाणसु हासाइछक्कमिक्किकं / कोहादीण चउक्कं चोद्दस अभिंतरा गंथा // 647 // 12