________________ बाहिरगंथा खित्तं वत्थु धण-धण्ण-कुप्प-रुप्पाणि / दुपय-चउप्पय-मप्पय-सयणा-ऽऽसणमाइ जाणाहि // 648 // जह कुंडओ न सक्का सोहेउं तंदुलस्स सतुसस्स / तह जीवस्स न सक्का कम्ममलं संगसत्तस्स // 649 // जइया राग-दोसा गारव-सण्णाओ तह उदीरिज्जा / तइया गंथे घित्तुं लुद्धो बुद्धिं नरो कुणइ // 650 // चेलाइसव्वसंगच्चाओ पढमो उ जेण ठियकप्पो / आचेलकं भणिओ जिणेहिं तह पढम-चरिमेहिं // 651 // न य होइ संजओ वत्थमित्तचाएण सेससंगेहिं / तम्हा आचेलकं चाओ सव्वेसि संगाणं // 652 // संगनिमित्तं मारेइ, भणई अलियं, करेइ चोरिकं / सेवइ मेहुण, मुच्छं च अपरिमाणं कुणइ जीवो - // 653 // सण्णा-गारव-पेसुण्ण-कलह-फरुसाणि भंडण-विवाया / संगनिमित्तं ईसा-ऽसूया-सल्लाणि जायंति // 654 // गंथो भयं नराणं, सहोयरा एलगच्छया जं ते / . अण्णोण्णं मारेउं अत्थनिमित्तं मतिमकासी // 655 // अत्थनिमित्तमतिभयं जायं चोराण एक्कमिक्केहि। मज्जे मंसे य विसं संजोइय मारिया जं ते. // 656 // संगो महाभयं जं विहेडिओ सावएण संतेण / . पुत्तेण हिए अत्थम्मि मणिवईकुंचिएण जहा // 657 // सीउण्ह वाय वरिसं तण्हं उण्हं छुहं पिवासं च / / दुस्सिज्जं दुब्भत्तं सहइ य वहई य गुरुभारं // 658 // गायइ वायइ नच्चइ कंखइ विलवेइ मलइ असुई पि। . तुण्णेइ विणइ जायइ कुलम्मि जाओ वि गंथत्थी // 659 // 144