________________ महिला कुलं सवंसं पई सुयं मायरं च पियरं च। . विसयंधा अगणिती दुक्खसमुद्दम्मि पाडेइ // 564 // माणुण्णयस्स पुरिसदुमस्स नीओ वि आरुहइ सीसं / महिलानिस्सेणीए सुहेण फलभारनमियस्स। // 565 // माणुण्णया वि पुरिसा ओमंथिज्जंति दुट्ठमहिलाहिं / जह अंकुसेण करिणो निसियाविज्जति बलिणो वि // 566 // सुव्वंति य महिलऽत्थे लोए जुज्झाई बहुपयाराई। भयजणणाई जणाणं भारह-रामायणाईणि // 567 // नीयंगमाहिं सुपओहराहिं उप्पित्थ-मंथरगईहिं। महिलाहिं निण्णयाहि व गिरिणो गरुया वि भज्जंति // 568 // सुट्ट वि जियासु सुट्ट वि पियासु सुट्ट वि परूढपेम्मासु / महिलासु भुयंगीसु व वीसंभं नाम को कुणइ ? // 569 // वीसंभनिब्भरं पि हु उवयारपरं परूढपणयं पि / कयविप्पियं पियं. झत्ति निति निहणं हयासाओ // 570 // सीमंतिणीण सीमं दोसाण लहंति नेय विउसा वि।। जं गुरुदोसाण जए ताओ च्चिय हुंति सीमाओ // 571 // रमणीयदंसणाओ सोमालंगीओ गुणनिबद्धाओ। नवमालइमालाओ व हरंति हिययं महिलियाओ // 572 // किंतु महिलाण तासि दसणसुंदेरजणियमोहाणं / आलिंगणमइरा देइ वज्झमालाण व विणासं // 573 // रमणीण दंसणं चेव सुंदरं, होउ संगमसुहेण / गंधो च्चिय सुरहो मालईइ मलणं पुण विणासो // 574 // साएयपुराहिवई देवरई रज्जसोक्खपब्भट्ठो। पंगुलहेउं छूढो नईइ रत्ताइ देवीए // 575 // 12