________________ देविंद-राय-गहवइ-सागरि-साहम्मिउग्गहं तम्हा। उग्गहविहिणा दिण्णं गिण्हसु सामण्णसाहणयं / // 540 // रक्खाहिं बंभचेरं च बंभगुत्तीहिं नवहिं परिसुद्धं / निच्चं पि अप्पमत्तो पंचविहे इत्थिवेरग्गे // 541 // जीवो बंभा, जीवम्मि चेव चरिया हविज्ज जा जइणो / तं जाण बंभचेरं विमुक्कपरदेहतत्तिस्स // 542 // वसहि कह निसिजिदिय कुटुंतर पुव्वकीलिय पणीए। . अइमायाहार विभूसणा य नव बंभगुत्तीओ // 543 // कामकया इत्थिकया दोसा असुइत्त वुड्डसेवा य / संसग्गीदोसा वि य करिति इत्थीसु वेरग्गं // 544 // जावइया किर दोसा इह-परलोए दुहावहा हुंति / आवहइ ते उ सव्वे मेहुणसण्णा मणूसंस्स // 545 // सोयइ वेवइ तप्पइ, जंपइ कामाउरो असंबद्धं / रतिदिया य निदं न लहइ, पज्झाइ विमणो य पाणितलधरियगंडो बहुसो चिंतेइ कि पि दीणमुहो / कामुम्मत्तो अंधो अंतो डज्झइ य चिंताए / // 547 // कामाउरो नरो उण कामिज्जंते जणे अलब्भंते / मारइ अणत्थयं सो गिरि-जलण-जलेसु अप्पाणं // 548 // रइ-अरइतरलजीहाजुएण संकप्पउब्भडफडेणं / विसयबिलवासिणा मयमुहेण बिब्बोयरोसेण कामभुयगेण दट्ठा लज्जानिम्मोय-दप्पदाढेण / नासंति नरा अवसा दूसहदुक्खावहविसेण // 550 // आसीविसेण दट्ठस्स हुंति वेगा नरस्स सत्तेव / कामभुयंगमदट्ठस्स हुंति वेया दस दुरंता // 551 // 104