________________ अलियं सई पि भणियं विहणइ बहुयाइं सच्चवयणाई / पडिओ नरयम्मि वसू इक्केणमसच्चवयणेण . // 528 // मा कुणसु धीर ! बुद्धि अप्पं व बहुं व परधणं घत्तुं / दंतंतरसोहणयं कलिचमित्तं पि अद्दिण्णं // 529 // जह मक्कडओ पक्कप्फलाइं दट्ठण धाइ घाओ वि। इय जीवो परविहवं विविहं दट्ठण अहिलसइ . // 530 // न य तं लहइ, न भुंजइ, भुत्तुं पि न कुणइ निव्वुइं तस्स / सव्वजएण वि जीवो लोहाइद्धो न तिप्पेइ // 531 // जो पुण अत्थं अवहरइ तस्स सो जीवियं पि अवहरइ / / जं सो अत्थकएणं उज्झइ जीयं, न उण अत्थं // 532 // हुंतम्मि तम्मि जीवइ सुहं च सकलत्तओ तओ लहइ / अत्यं तस्स हरंतेण तेण से जीवियं पि ह(?हि)यं // 533 // ता जीवदयं परमं धम्मं गहिऊण गिण्ह माऽदिण्णं / जिण-गणहरपडिसिद्ध लोयविरुद्धं च अहमं च // 534 // धंतं पि संजमंतो घित्तूण कलिंचमित्तमविदिण्णं / तणलहुओ होइ नरो अप्पच्चइओ य चोरो व्व // 535 // चोरो परलोयम्मि वि निवंडइ अइतिव्ववेयणे नरए / तिरिएसु य, तम्मि पुणो पावइ तिक्खाई दुक्खाई // 536 // मणुयत्तणे वि दीणो दारिद्दोवद्दुओ धणासंसी / खिज्जतो वि न पावइ न य से धणसंचओ होइ // 537 // परदव्वहरणबुद्धी सिरिभूई दुक्खदारुणे नरए / पडिओ तत्तोऽणंतं भमिओ संसारकंतारं // 538 // एए सव्वे दोसा न हुंति परदव्वहरणविरयस्स / तविवरीया य गुणा हुंति सया दत्तभोइस्स // 539 / / . 123