________________ पाणो वि पाडिहरं पत्तो बूढो वि सुंसुमारदहे। एगेण वि एगदिणऽज्जिएणऽहिंसावयगुणेणं // 516 // परिहर असच्चवयणं सव्वं पि चउब्विहं पयत्तेण / संजमवंता वि जओ भासादोसेण लिप्पंति / // 517 // सब्भूयऽत्थनिसेहो पढममसच्चं न संति जह जीवा। बीयमसब्भूयकहा संति जहा भुवणकत्तारो // 518 // अण्णहवयणं तइयं-निच्चो जीवो जहा अणिच्चो वा / सावज्जमणेगविहं वयणमसच्चं चउत्थं तु // 519 // जत्तो पाणवहादी दोसा जायंति तमिह सावज्जं / . . अप्पियवयणं च तहा कक्कस-पेसुण्णमाईयं / 520 // हासेण व कोहेण व लोभेण भएण वा वि तमसच्चं / मा भणसु, भणसु सच्चं, जीवहियत्थं पसत्थमिणं // 521 // मिय-महुरमखरमपिसुणमछलं कज्जोवगं असावज्ज / धम्माऽहम्मियसुहयं भणाहि, तं चेव य सुणाहि // 522 // सच्चं वयंति रिसिणो, रिसीहिं विहिया उ सच्चविज्जा उ / मिच्छस्स वि सिझंती विज्जाओं सच्चवाइस्स // 523 // विस्ससणिज्जो माय व्व होइ, पुज्जो गुरु व्व लोयस्स / सयणो व सच्चवाई पुरिसो सव्वस्स होइ पिओ // 524 // सच्चम्मि तवो, सच्चम्मि संजमो, तम्मि चेव सव्वगुणा / अइसंजओ वि मोसेण होइ तणपेलवो पुरिसो // 525 // जह परमण्णस्स विसं विणासयं, जह य जोव्वणस्स जरा / तह जाण अहिंसादी गुणे असच्चं विणासेइ . // 526 // होउ व जडी सिहंडी मुंडी वा वक्कली व नग्गो वा। लोए असच्चवादी भण्णइ पासंडचंडालो // 527 // 122