________________ // 480 // // 481 // // 482 // // 483 // // 484 // // 485 // नाणुवओगो तम्हा खवयस्स विसेसओ सया भणिओ। जह चक्कट्ठवओगो चंदगविज्झं करितस्स नाणपईवो पज्जलइ जस्स हियए विसुद्धलेसस्स / जिणदिट्ठमुक्खमग्गे पणासणभयं न से अस्थि सूई जहा ससुक्ता न नासई कयवरम्मि षडिया वि / जीवो तहा ससुत्तो न नासइ गओ वि संसारे नाणुज्जोउज्जोओ नाणुज्जोयस्स नत्थि वाघाओ। दीवेइ खित्तमप्पं सूरो, नाणं जगमसेसं नाणं पयासयं, सोहओ तवो, संजमो य गुत्तिकरो / तिण्हं पि समाओगे मुक्खो जिणसासणे दिट्ठो नाणुज्जोएण विणा जो इच्छइ मुक्खमग्गमवगंतुं / गंतुं कडिल्लमिच्छइ अंधलओ अंधयारे सो खंडसिलोरोहिं जवो जइ मरणाओ वि रक्खिओ राया / पत्तो य स सामण्णं, किं पुणजिणवुत्तसुत्तेण ? दढसुप्पो सूलहओ पंचनमुक्कारमित्तसुयनाणो / उवउत्तो कालगओ जाओ देवो महिड्डीओ न य तम्मि देस-काले सव्वो बारसविहो सुयक्खंधो / सका(को) अणुचितेउं बलिएण समत्थचित्तेणं एगम्मि वि जम्मि पए संवेयं कुणइ वीयरागमए / सो तेण मोहजालं छिदइ अज्झप्पजोगेणं परिहर छज्जीववहं सम्मं मण-वयण-कायजोगेहिं / जीवविसेसे नाउं जावज्जीवं पयत्तेणं पुढवि-दगाऽगणि-वाया इक्किका सुहुम-बायरा हुंति / साहारण पत्तेओ दुविहो य वणस्सई होइ .. . 118 // 486 // // 487 // // 488 // // 489 // // 490 // // 491 //