________________ आराहणापुरस्सरमणण्णहियओ विसुद्धलेसागो / संसारक्खयकरणं ता मा मुच्च नमुक्कारं / ___ // 468 // अरहंतनमुक्कारो इक्को वि हविज्ज जो मरणकाले / सो जिणवरेहिं दिट्ठो संसारुच्छेयणसमत्थो // 469 // भावनमुक्कारविवज्जियाई जीवेण अकयकज्जाइं / गहियाणि य मुक्काणि य,अणंतसो दव्वलिंगाइं . // 470 // चउरंगाइ वि सेणाइ नायगो जह पयट्टगो होइ / तह भावनमुक्कारो मरणे तव-नाण-चरणाणं . // 471 // आराहणापडायागहणे हत्थो भवे नमुक्कारो। तह सुगइमग्गगमणे रहो व्व जीवस्स अप्पडिहो // 472 // अण्णाणी वि य गोवो आराहित्ता मओ नमुक्कारं / चंपाए सिट्ठिसुओ सुदंसणो विस्सुओ जाओ // 473 // नाणोवओगरहिओ न तरइ नियचित्तनिग्गहं काउं / नाणं अंकुसभूयं मत्तस्स व गुरुगइंदस्स // 474 // विज्जा जहा पिसायं सुट्टवउत्ता करेइ पुरिसवसं / नाणं हिययपिसायं सुट्टवउत्तं तह करेइ // 475 // उवसमइ किण्हसप्पो जह मंतेण विहिणा पउत्तेण / तह हिययकिण्हसप्पो सुटुवउत्तेण नाणेण . // 476 // आरण्णओ वि मत्तो हत्थी नियमिज्जए वरत्ताए / जह, तह नियमिज्जइ सो नाणवरत्ताइ मणहत्थी जह मक्कडओ खणमवि मज्झत्थो अच्छिउं न सक्केइ / . तह खणमवि मज्झत्थो विसएहि विणा न होइ मणो - // 478 // तम्हा सो तड्डणओ मणमक्कडओ जिणोवएसेणं / काउं सुत्तनिबद्धो रामेयव्वो सुहज्झाणे 118 // 477 // // 479 //