________________ भावाणुराय-पेम्माणुराय-मज्जाणुरायरत्तो य / धम्माणुरायरत्तो य होसु जिणसासणे निच्चं . // 456 // दंसणभट्ठो भट्ठो, न हु भट्ठो होइ चरणपन्भट्ठो / दंसणममुयंतस्स उ परिवडणं नत्थि संसारे // 457 // दंसणभो भी दंसणभट्ठस्स नत्थि निव्वाणं / सिझंति चरणभट्ठा दंसणभट्ठा न सिझंति // 458 // सुद्धे सम्मत्ते अविरओ वि अज्जेइ तित्थयरनामं / जह आगमेसिभद्दा हरिकुलपहु-सेणिया जाया // 459 // कल्लाणपरंपरयं लहंति जीवा विसुद्धसम्मत्ता / सम्मइंसणरयणं नऽग्घइ ससुराऽसुरो लोओ // 460 // तेलोक्कस्स पहुत्तं लभ्रूण वि परिवडंति कालेणं / सम्मत्तं पुण लद्धं अक्खयसुक्खं लहइ मुक्खं // 461 // अरहंत-सिद्ध-चेइय-पवयण-आयरिय-सव्वसाहूसु / तित्थंकरेसु भत्ति निव्वितिगिच्छेण भावेणं // 462 // एगा वि सा समत्था जिणभत्ती दुग्गइं निवारेउं / दुलहाणि लहावेउं आसिद्धिपरंपरसुहाई // 463 // विज्जा वि भत्तिमंतस्स सिद्धिमुवयाति होइ फलदा य / . कि पुण निव्वुइविज्जा सिज्झिहिति अभत्तिमंतस्स? // 464 // तेसि आराहणनायगाण न करिज्ज जो नरो भंत्तिं / धंतं पि संजमंतो सालि सो ऊसरे ववइ // 465 // बीएण विणा सस्सं इच्छइ सो वासमब्भएण विणा / आराहणमिच्छंतो आराहयभत्तिमकरितो // 466 // वंदणभत्तीमित्तेण चेव महिलाहिवो उ.पउमरहो / देविंदपाडिहरं पत्तो जाओ गणहरो य // 467 // ૧૧છે.