________________ मिच्छत्तस्स य वमणं सम्मत्ते भावणा परा भत्ती / पंचनमुक्काररई, नाणुवउत्तो सया होहि // 444 // पंचमहव्वयरक्खा, कोहचउक्कस्स निग्गहो परमो / दुईतिदियविजओ, दुविहतवे उज्जम कुणसु // 445 // संसारमूलबीयं मिच्छत्तं सव्वहा विवज्जेहि / सम्मत्ते दढचित्तो होसु, नमुक्कारकुसलो य // 446 // मयतिण्हियाओ उदयं मण्णंति नरा जहा सतण्हाए / सन्भूयमसब्भूयं तहेव मिच्छत्तमूढमणा' // 447 // इच्छइ असंतमत्थं भक्खियधत्तूरओ जहा पुरिसो। . मिच्छत्तमोहिअमणो तह धम्माऽधम्ममाईसु // 448 // मिच्छत्तभावणाए अणादिकालेणं मोहिओ जीवो। ' लद्धे वि खओवसमा सम्मत्ते दुक्करं रमइ ||-449 // न वि तं करेइ अग्गी नेय विसं नेय किण्हसप्पो वि। जं कुणइ महादोसं तिव्वं जीवस्स मिच्छत्तं // 450 // मिच्छत्तसल्लविद्धा तिव्वाओ वेयणाओ पाविति / विसलित्तकंटविद्धा जह पुरिसा निप्पडीयारा // 451 // अच्छीणि संघसिरिणो मिच्छत्तनिकायणेण पडियाई / कालगओ चिय संतो जाओ सो दीहसंसारी // 452 // कडुयम्मि अणिव्वलियम्मि दोद्धिए कडुयमेव जह खीरं / कह मिच्छतकडुइए जीवे तव-नाण-चरणाणि // 453 // मा कासि तं पमायं सम्मत्ते सव्वदुक्खनासणए। . सम्मत्तपविट्ठाइं नाणं-तव-विरिय-चरणाई // 454 // नगरस्स जह दुवारं, मुहस्स चलूँ, तरुस्स जहं मूलं / तह जाणसु सम्मत्तं नाण-चरण-वीरिय-तवाणं . // 455 // 116