________________ बाहिं असद्दपडियं कर्हिति चउरो चउव्विहकहाओ / ससमय-परसमयविऊ महाणुभावा तहा चउरो // 408 // धम्मकहरक्खणट्ठा बाहिं हिंडंति पयडमाहप्पा / ते निज्जवंति खवयं अडयालीसं तु निज्जवया // 409 // कालाणुसारओ पुण चउरो चउरो कमेण हाविज्जा / जा चउरो अहवा दो हुंति जहण्णेण निज्जमया // 410 // एगो जइ निज्जमओ अप्पा चत्तो परो पवयणं वा / वसणं समाहिमरणे उड्डाहो दुग्गई वा वि // 411 // संलेहणं सुणित्ता जुत्तायारेहिं निज्जविज्जंते / सव्वेहि वि गंतव्वं जईहिं इयरत्थ भयणिज्जं // 412 // संलेहगस्स मूलं जो वच्चइ तिव्वभत्तिराएणं / / भोत्तूण दिव्वसोक्खं सो पावइ उत्तिमं ठाणं // 413 // तिल्ल-कसायाईहि य बहुसो गंडूसया पघित्तव्वा / जिब्भा-कण्णाण बलं होही वयणं च से विसयं // 414 // सव्वाहारमदंसिय जदि कीरइ तस्स तिविहवोसिरणं / कम्मि वि भत्तविसेसम्मि उस्सुओ हुज्ज सो खवओ // 415 // तम्हा भवचरिमं सो पच्चक्खाहि त्ति तिविहमाहारं / उक्कस्सियाणि सव्वाणि तस्स दव्वाणि दंसिज्जा // 416 // पासित्तु कोइ ताई 'तीरं पत्तस्सिमेहि किं मझे ?' / वेरग्गमणुप्पसो संवेगपरो स चितेइ / // 417 // किं व तं नोवभुत्तं मे परिणामाऽसुई सुइं?। दिट्ठसारो सुहं झाइ, चोयणा अवसीयओ // 418 // देसं भुच्चा कोई हाहा ! इण्डिं इमेहिं किं मज्झ ? / कोई तमायइत्ता रसगिद्धो कुणइ अणुबंधं . // 419 / / 113