________________ सयणे व परजणे वा परपरिवायं च चयसु निच्चं पि / अच्चासायणभीओ परगुणदंसी सया होहि // 216 // परनिंदापरिहरणं, परहियवयणं, न जायणाकरणं / उचियं च विणयकरणं, इणमो लोयम्मि गुणकरणं // 217 // परगुणहरणं नियगुणपसंसणं अप्पगारवुग्गिरणं / परपत्थणमपसत्थं, एयाइं गुरुं पि लहुयंति // 218 // जो परदोसे गिण्हइ स दोसवं होइ, एत्थ किं भणिमो? / गिण्हंतो य परगुणे गुणवं होइ त्ति, किं चोज्जं? // 219 // जं जस्स पियं जणसंकुले वि संठाइ तम्मि से दिट्ठी / गिण्हंति गुणे गुणिणो, तेण न दोसे सदोसे वि // 220 // परअववाए मूओ, परमहिलारूवदंसणे अंधो। . परपेसुण्णयसवणे बहिरो जो, सो सुहं सुयइ // 221 // परगुणगहणं छंदाणुयत्तणं हियमकक्कसं वयणं / . निच्चमदोसग्गहणं अमंतमूलं वसीकरणं / // 222 // एसो सव्वसमासोतह पेच्छह अप्पयं पयत्तेण / जह तुह गुणसंजणिया कित्ती सव्वत्थ वित्थरइ // 223 // एस अखंडियसीलो, बहुस्सुओ एस, एस य समड्डो / चरणगुणसुट्ठिओ त्ति य धणस्साघोसणा भमइ // 224 // सासेइ गणं पि. तओतुब्भेहि वि गुणनिही.गुरू एसो। निच्चं पि ने मोत्तव्वो आणानिद्देसनिरएहि // 225 // सामी भडेहि, अंधेहिं कड्डओ, पंथिएहिं सत्थाहो / सउणेहिं सउणसाही जह, तह एसो न मोत्तव्वो // 226 // कडुयं पि कह व भणिया तुब्भे विणयं च मा हु मुंचिज्जा / अमयं व मण्णमाणा अणुणयपउणा कुलवहु व्व // 227 //