________________ नातिविकिट्ठो य तवो छम्मासे, परिमियं च आयामं / अण्णे वि य छम्मासे होइ विगिटुं तवोकम्मं // 156 // वासं कोडीसहियं आयाम कट्ट आणुपुव्वीए / पाओवगमं धीरो पडिवज्जइ मरणमियरं वा // 157 // वायक्खोभादिभया जहसत्तीए तवं कुणइ एसो। अज्झवसाणविसुद्धि संलिहमाणो न मुंचिज्जा . // 158 // अज्झवसाणविसुद्धी कसायकलुसीकयस्स से नत्थि / ता तस्स सुद्धिहेउं संलिहइ तओ कसायकलिं // 159 // कोहं खमाइ, माणं च मद्दवेणऽज्जवेण मायं च / संतोसेण य लोहं, संलिहइ लहुं कसाए सो // 160 // रूवं उच्चागोयं अविसंवाओ सुहो य लाभो त्ति / कोहाईनिग्गहणं फलं कमेणुत्तमं णेयं // 161 // तं वत्थु मुत्तव्वं जं पइ उप्पज्जए कसायग्गी / तं आयरेज्ज वत्थु जेण कसाया न उटुिंति // 162 // धण्णाणं खु कसाया जगडिज्जंता वि परकसाएहि / न चयंति उट्ठिउं जे सुनिविट्ठो पंगुलो चेव . // 163 // जं अज्जियं चरितं देसूणाए वि पुव्वकोडीए / तं पि कसाइयमित्तो हारेइ नरो मुहुत्तेण // 164 // कलुसफलेण न जुज्जइ किं चोज्जं जं तहिं विगयरागो ? संते वि जो कसाए निग्गिण्हइ सो वि तत्तुल्लो // 165 // तम्हा उप्पज्जंतो कसायदावानलो लहुं चेव / इच्छा-मिच्छाउक्कडचंदणसलिलेण विज्झवइ // 166 // परिवड्डिओवहाणी वियडसिरा-ण्हारु-पंसुलिकरालो / ' संलिहियकसाओ वि य दुविहं संलेहणमुवेइ . // 167 // 2