________________ गीयत्थपरिग्गहियं पयासमायाइ दुद्रुमविसिटुं। . संपुण्णचंदगहिओ ससओ वि जणे पयासकरो // 20 // एए दस दिटुंता उवणयजुत्ता मए विणिद्दिवा / नरभवलद्धट्ठाए लिहिया पवयणसमुद्दाओ // 21 // सिरितवगणरयणाकर-तरंगसंपुण्णचंदसारिच्छो। सुविहियमुणिजणचूडा-मणिभूओ भुवणजणपणओ . // 22 // संजमगुणमणिमुणणा-मसंमत्थो जत्थ विबुहआयरिओ। जस्स य कित्तिपडाया विलसइ सद्धम्मगेहुवरि // 23 // सिरिविजयप्पहसूरि-रज्जे सिरिविणयविमलकविराया। सिरिधीरविमलपंडिय-सीसेण णएण णिट्ठिा // 24 // जाव य जंबूद्दीवो जाव य गहगणविभूसिओ मेरू / ताव य उवणयमाला कुसलेहिं वाइया चिरं जयउ // 25 // पंचसया सगवण्णा (557) गाहापरिमाणमित्थ णिद्दिटुं / सिरिपासणाहणाम-प्पहावओ मंगलं णिच्चं // 26 // श्रीमद्राजशेखरसूरिस्कृता ॥कथाकोषः॥ सर्वेऽपि लोभिनो यत्र, मन्दबुद्धिजनाश्रिताः / तत्र नैवानुगैर्भाव्यं, तां श्रुत्वा मोदकी कथाम् यदा येन यथा मृत्युः, प्राप्तव्यः सोऽन्यथा नहि / आराधिते यमे तुष्टे, दैवयोगाद्वणिग् मृतः यद् यदेको बुधो वेत्ति, तत्तदेवापरे बुधाः / पयःस्थाने पयः क्षिप्तं, सर्वैर्नृपतिपण्डितैः // 2 // // 3 // . 342