________________ जाओ य महानरवई पयावपरिभूयवेरिनरनाहो / सो रज्जरंजियमणो माणइ माणं जहिच्छाए // 86 // जाओ जणे पवाओ जह इमिणा चंदमंडलं सुविणे / पीयं तस्स पसाएण पावियं एरिसं रज्जं // 87 // सुणियं च तेण कप्पडियनरेण किं एरिसं न मे जायं? नरनाहत्तं विण्णाणदोसाओ ज़णेण सों भणिओ . // 88 // एत्तो जमण्णमेयं सुविणं लब्भामि तं कहिस्सामि / निउणस्स कस्सइ जेण हुज्ज जइ रज्जसंसिद्धी // 89 // दहितक्कपउरभोयणपरायणो सो वि रोरो जहिच्छाए। सुविणं मग्गंतो सो किलिस्सिओ कालमइबहुयं // 9 // जह तस्स य सुविणस्स य लाहो अइदुल्लहं तहा भटुं। मणुयत्तं मणुयाणं अपारसंसारजलहिम्मि // 91 // विण्णाणकलाकुसलो जीवो संसारी मूलदेवु व्व। जह जूयवसणवसणो. तह प्पमायव्वसणदुत्थो // 92 // जहावंती तह नरगई जह गणिया तह य धम्मसद्धाय / जह अक्का तह अरुई जह अयलो तह अहम्मनिवो जह अडवी तह भववण-गहणे विप्पो तहा य ववहारो। जह दाणं मासाणं पुण्णं मग्गाणुसारि तहा . // 94 // जह पहियाणं साला सामायारी तहा वरा सुद्धा। जह सुविणं चंदस्स य पाणं तह दंसणावत्ति // 95 // जह अण्णे कप्पडिया तह मिच्छादिट्ठिणो मुणेयव्वा। सुविणफलं वाहरियं मंडयमिव विसयसुहलाहो // 96 // पुप्फफलपुण्णहत्थो विवेयभत्तीमहग्घसंजुत्तो। सुविणुण्हुव्वय सुविहिय-गुरुपासे फलं च पुच्छेइ // 97 // 324