________________ जह कण्णा तह विरई पाणिग्गहणं कराविया तेण / जह पंचदिव्वकलियं रज्जं पत्तं वरं ज्झाण // 98 // जह पंचदिव्व पंच य महव्वयालंकियं चरणधम्मं / संविग्गमुणिहिं विहियं तस्स य आयरियपयरज्जं // 99 // सुणिऊण तस्स रज्जं अण्णे पासंडिया विचितेइ / जह इमिणा लद्धफलं तहा न अम्हाण लाहो त्ति // 100 / / लब्भामि पुणो सुविणं जइ तो पभणामि बुहजणस्स पुरो। इय चिंतिऊण निद्धं-धसकिरियाई किलिस्संति // 101 // उस्सुत्तणिद्दवसया पमायदहितक्कभोयणा तुट्ठा / निअनिअमाणागासे सुवंति ते सुविणलाहटुं // 102 // उम्मग्गसारिणो ते णो लब्भिज्जति दसणं सुविणं / . विसयसुहगिद्धियाणं दुलहो चारित्तधणलाहो // 103 // कहमवि देवबलेण य लाहो सुविणस्स हवइ णेव-पुणो / एवं अणोरपारे संसारे सदसणं खु मणुयत्तं . // 104 // इय छठ्ठी दिटुंतो सुमिणयणामा मए विणिद्दिट्ठो / नरभवलद्धट्ठाए लिहिओ पवयणसमुद्दाओ // 105 // सिरिविजयप्पहसूरि-रज्जे सिरिविणयविमलकविराया। सिरिधीरविमलपंडिय-सीसेण णयाइविमलेण // 106 // ॥राधावेधनामा सप्तमोः दृष्टान्तः॥ इंदपुरे इव रम्मे इंदपुरे वरपुरम्मि णरणाहो / नामेण इंददत्तो इंदो इव विबुहमहणिज्जो सिरिमालीपमुहपुत्ता बावीसमणंगचंगरूवधरा / बावीसाए देवीण मत्तया तस्स य अहेसि // 1 // // 2 //