________________ // 14 // // 15 // // 16 // // 17 // // 18 // // 19 // एवं तेण समं सा गमेइ कालं विसालभोगपरा / परमच्चंतसिणेहा णिच्चं चिय मूलदेवम्मि अक्का पभणइ एसो न पवेसइ तं नियम्मि गेहम्मि / खिज्जेइ किंचि चित्ते नाउं जणणी य तब्भावं भणिया पुत्ति पवेससु जो रुच्चइ तुज्झ झूरसि किं चित्ते / समए पवेसिओ सो भणियं अक्काए तो एवं . पभणेइ देवदत्ता नाहं लुद्धा धणेण किंतु गुणे। सव्वोवि गुणसमूहो निवसइ इह मूलदेवम्मि भणिया सा अक्काए अणेगगुणगणसमण्णिओ अयलो। एसो जइ तुह इट्ठो सा भणइ किज्ज तो परिच्छा तो अयलस्स समीवे दासी संपेसिया जहा भणसु / तुह वल्लहाए जायं उच्छुण य भक्खणे चोज्जं तप्पत्थणाए सोहग्गियाणमग्गेसरं मुणंतो सो। अप्पाणमणेगाइं संपेसइ उच्छसगडाइ .. जणणीए सा भणिया अयलस्सोदारयं तुमं पेच्छ। इक्कवयणेण जेणं महव्वओ एरिसो विहिओ सविसायं सा भासइ किमहं करिणी जमेव उवणेइ। असमारइयाओ इमा समूलदालाओ लट्ठिओ तो भणसु मूलदेवं किं काही सो वि ताव पेच्छाओ। पिहिया चेडी जाणा-विओ य सो जूयखेलम्मि तत्तो तेण कवाडे घेत्तूणं दसदुगेण तम्मज्झं / गहिया दोलट्ठीओ दुगेण दो अहिणसरावे सेसेण चाउज्जायं तिक्खेण छुरेण ताओ घडियाओ। तह गंडलीकयाओ सूलासपोइयाओ य // 20 // // 21 // // 22 // // 23 // // 24 // // 25 // 318