________________ // 2 // // 3 // // 4 // // 5 // // 6 // // 7 // उग्गपरक्कमणिज्जिय-सयलदिसिमंडलो कलानिलओ। नामेणं जियसत्तू णरणाहो तं च पालेइ तत्थत्थि सत्थवाहो समग्गदेसेसु पत्तविवहारो। अयलो अयलु व्व थिरो चाई भोई महाभागो तत्थ वि य देवदत्ता लायण्णमहोयही कमलणयणा / गणियाऽगणियड्डलोय-मियवाउरा णिवसइ धड्ढा रायण्णकुलुप्पण्णो संपुण्णो रायलक्खणसएहिं / तत्थत्थि मूलदेवो धुत्तो पत्तो परं कित्ति धुत्ताणं तेणाणं वसणाणं कोउगाण कुसलाणं / विउसाण धम्मियाण य जो मूलसलाहणं लहइ कंदप्पदप्पपणयं विसयसुहं तस्स सेवमाणस्स। . गणियाए देवदत्ताए सद्धिं देवस्स जंति दिणा अहण्णया महूसव-समए उज्जाणकीलणनिमित्तं / . अयलेण देवदत्ता दिट्ठा सह मूलदेवेण . सिबियारूढं पोढं तक्खणमुवकंठमागओ तीए। चितेइ सत्थवाहो एसा णो मिलइ दुत्थाणं ता केण उवाएणं मज्झं समीहियकरा भवेज्जेसा / पारद्धो दाणाइ-उवयारोणेगहा तीए . उवयारमत्तलुब्भा गणियाओ जेण तेण सो तीए / आणीओ बहुमाणस्स गोयरं दावियसिणेहो वरचित्तभित्तिकलिए निम्मलमणिभूसिए सउल्लोचे / पज्जलियरयणदीवय-पहागलच्छियतिमिरपूरे कयउब्भडसिंगारो पउससमयम्मि वासभवणे सो। पत्तो पडिवण्णो अस-णाइदाणेण सो तीए . 317 // 8 // // 9 // // 10 // // 11 // // 12 // // 13 //