________________ // 17 // // 18 // // 19 // - // 20 // // 21 // जह तत्थ वसंतमहो इत्थ य जणपूअमहिमप्पारंभे। इड्डीरससायगारव-धया जहोससियपडाया सो गीयत्थो सूरी पत्तो देसंतरे खु कइया वि। जणवयविहारकज्जे तं पासेत्ता सुया हट्ठा अइणग्धं जिणवयणं रयणं विकिज्ज़ अप्पमूल्लेण / ' नियउयरपूरणट्ठा गारवकेऊ समुस्ससिया जणएण य ते पुत्ता दिट्ठा दुट्ठट्ठकम्मगारविया / आयरियउवज्झाय-पयं लहिज्जाऽहलगुणेहिं धिद्धिक्कारं कारिय सासणगेहाओ कड्डिया दूरं। भणइ पिया जइ रयणाई गिहिज्जा तो समेयव्वं उस्सुत्तवयणमिच्छा-उक्कड़मालप्पमाणमुझेत्ता / समायारीगेहं पावंतिण कुसीलयाइया पासत्थाइसरूवं इत्थ य कहियं ण वित्थरभयाओ। आवस्सयणिज्जुत्तीओ णेयं सुगुरुमुहाओ समं जह तेसिं पुत्ताणं हिच्चामाणं खु आणसालाए। दुटुं च समागमणं तह मणुयत्तं पुणो भटुं इय पंचमदिटुंतो रयणगणामा मए विणिहिट्ठो। णरभवलद्धट्ठाए लिहिओ पवयणसमुद्दाओ सिरिविजयप्पहसूरि-रज्जे सिरिविणयविमलकविराया। सिरिधीरविमलपंडिय-सीसेण णयाइविमलेण // 22 // // 23 // // 24 // // 25 // // 26 // // स्वप्ननामा षष्ठो दृष्टान्तः॥ अस्थि अवंतीविसए अलयापुरि निज्जिया सया जीए। अइनिम्मलविहववसा पवरपुरी णाम उज्जेणी // 1 // 316