________________ // 108 // // 109 // // 110 // // 111 // // 112 // // 113 // इय भणिओ सो तीए चक्किणं विण्णवेइ तह चेवं / राया भणइ किमेयं अइतुच्छं मग्गियं तुमए / मइ तुढे मग्गिज्जइ रज्जं चलधवलचामराडोवं / विप्पकुलुप्पृण्णाणं किमम्ह रज्जेण सो भणइ पढमं नियगेहे च्चिय तो रण्णा भोयणं सदीणारं / दिण्णं तओ कमेणं अंतेउरमाइलोएण बत्तीससहस्सनरवईण बहुयाओ कुडंबकोडीओ। तत्थ णिवसंति णयरे तप्पज्जंतं न सो लहइ छण्णवइगामाणं कौडीओ तत्थ कुलसहस्साई / कइया भारहपज्जंत-मेस संजायपुण्णवरो तइया वाससहस्सं संभवइ आउयं नसण परं। . कह एय कालजीवी नयरस्स वि लहइ पज्जतं एवं पुनरवि दुलहं जह चक्किगिहम्मि भोयणं तस्स। तह मणुयत्तं जीवाण जाण संसार कांतारे जह सो साहियभरहो चक्की राया य बंभदत्तो य / तह तित्थयरो धम्म-चक्कवट्टी सकारुण्णो जह सो दुहिओ विप्पो तह संसारी जणो मुणेयव्वो। मिच्छत्तदरिदेण य दुत्थो अत्थंप्पसंगी य जिण्णोवाणयचिंधेहिं दिवो दोवारिएहिं जह चक्की / सुपसन्नकम्मविवर-पडिहारपरप्पसाएण सुहसामग्गिधएहिं दिट्ठो तह तित्थधम्मवरचक्की / तुद्वेण तेण दिण्णं महप्पसाएति पवरवरं जह सा दिअस्स भज्जा दुट्ठमणा या अलच्छिसारिच्छा। तब्धयणेहि भिक्खं पत्थइ मोत्तूण वररज्जं // 114 / / // .115 // // 116 // // 117 // // 118 // // 119 // .. 303.