________________ नवनिहिपइणो तस्स-प्रणयाओ भोगं निसेवमाणस्स। विप्पो पुव्वपसंगी समागओ निवपलोयटुं // 96 // स तस्स अणेगेसुं विविहविहिकज्जरज्जसाहज्जो। अच्चंतपरमभत्तो य आसी परमं पणयट्ठाणे . // 97 // रायाभिसेयमहिमा पवमाणो य वासबारसगं / चक्की तेण न दिट्ठो अलद्धद्दारप्पवेसेण // 98 // तप्पज्जते बाढं निसेवमाणेण दारपालनरं। . . दिवो कहमवि तेण य बारसमे वच्छरे राया // 99 // अण्णे भणंति जाहे न लहइ सो दंसणं पि चक्किस्स। तो जिण्णुवाहणाओ वंसे दीहम्मि विलसेइ // 10 // बहिनिग्गमसमए सो रण्णो जे चिंधगाहगा तेसिं। मिलिओ नियचिंधकरो उवाणहो उग्घविग्घेणं // 101 // निज्झाइओ य रण्णा किमियं चिंधति चिंतियं रण्णा। पुट्ठो य तेण भणियं तुहं सेवाकालमाणमिणं // 102 // एत्तिय उवाहणाओ घट्ठाओ तं निसेवमाणस्स / न य दंसणमुवलद्धं कहंचि तुह देवचलणाणं . // 103 // सुकयण्णयाए तेणं पुव्वुवयारं मणे सरंतेण / भणिओ संतुट्ठमणेण भद्द ! मग्गाहि वरमेगं // 104 // आउच्छिय नियभज्ज पच्छा मग्गामि जंपियं तीसे। इय भणिऊणं विप्पो गेहं गओ पुच्छिया सा य अइनिउणबुद्धिजुत्ता अवि तुच्छमणा हवंति नारीओ। तो चिंतियमेईए बहुविहवो परवसो होही / .. // 106 // इक्किकम्मि गेहम्मि पइदिवसं भोयणं तुम मग्गं। . दीणारदक्खिणं तह पज्जंतं चक्किआणाए // 107 // 105 // 302