________________ // 60 // // 61 // // 62 // // 63 // // 64 // // 65 // पडिवज्जिऊण एवं पुरपरिसरबाहि गंगतीरम्मि। काराविया विसाला एगा धणुणा पवा पवरा परिवायगाण तह भिछुयाण नाणाविहाण पहियाण / भद्दगइंदो व्व तहिं दाणं दाउं पयज्जेसु अह चुलणीए तत्तो तस्स कए मग्गिया सबंधुसुया / पउणीकयं च सव्वं विवाहपाउग्गमुवगरणं थंभसयसंनिविट्ठ अइगूढपवेसनिग्गमदुवारं / कारावियं जउहरं वासनिमित्तं कुमारस्स तं सव्वं वित्तं नाऊण य पुत्तवरधणुमुहाओ। चिंतइ धणू अमच्चो अहो ! अकज्जं कयं इए सम्माणदाणगहिएहि अप्पणो मित्तगूढपूरिसेहिं / चउगाउयं सुरंगं कारावइ जाव जउगेहं अह तकालं नरवइ कण्णा सा नियअमच्च संजुत्ता। विवाहत्थं पत्ता कंपिल्ले ऊसियपडाए . अह पुष्पचूलरण्णो धणुणामच्चेण भिच्चवयणाओ। सव्वा रहो पवित्ती जाणाविज्जा तहा कुज्जा मुणिऊण तं चरितं दासी संपेसिया सुयाट्ठाणे / सव्वाभरणविहिहिं लग्गदिणे सोहणट्ठाणे. जायं पाणिग्गहणं वासनिमित्तं तओ य एयणीए। वरधणुवहुसमेओ पवेसिओ जउहरं कुमरो जामजुगम्मि अइगए पज्जलियं तं तम्माए तं भवणं / जाओ य कलयलरवो अइभीमो सव्वओ तत्थ पक्खुभियजलहिसंनिहि जलणं कुमरेण भीसणं दिटुं। . आपुच्छिओ वरधणू किमकंडे डमरमेयंति ? // 66 // // 67 // // 68 // // 69 // // 70 // // 71 // 299