________________ // 72 // // 73 // // 74 // // 75 // // 76 // // 77 // कुमर तुहाणत्थकए एसो विवाहवइयरो रइओ। एसा ण रायकण्णा अण्णा वि य कावि तस्सरिसा ता तीए मंदपणओ कुमरो जंपेइ किं विहेयमओ ? / तो भणियं वरधणुणा पण्णिप्पहारं अहो देसु दिण्णम्मि तप्पहारे सुरंगदारं विणिग्गया तेण / दोहि वि गंगातीरे पवापवेसम्मि संपत्ता पुव्वं चिय वरधणुणा ठावियजच्चम्मि तुरियजुयलम्मि। तक्खणमारूढा ते पण्णासं जोयणा णिगया अइदीहमग्गखेहेण ज्झति पंचत्तमावया तुरया। पाएहिं चेव गंतुं लग्गा पत्ता तओ गामं कुद्दाभिहाणमेत्थं कुमरेणं वरधणू इमं भणिओ। जह बाहए छुहा मे परिसंतो तह दढं जाओ गामे बहिं च्चियं तं ठाविऊण गामंतरं पविट्ठो सो। घेत्तूण खुरमर्दि कुमरो मुंडाविओ तत्थ वत्थे कसायरत्ते निवासिओ पट्टए णिविट्ठो य।। चउरंगुलेण वच्छे सिरिवच्छो लच्छीकुलतिलओ . कयवेसपरावत्तो वरधणुणा बुद्धिबोहिणा कुमरो / जइ कह वि दीहराया जाणिज्ज हणिज्ज तो अम्हे इमं संभमं वहंता तप्पडियारं तहा कुणंता य / गामं तो संपत्ता एगम्मि य माहणगिहम्मि विप्पेण निययभज्जा भासिया भुंजहेह एयाणं / आसणबहुमाणेहिं ठाविया तत्थ ते तीए कुमरं सिरिवच्छजुयं पासेत्ता भासइ इमं महिला। बंधुमईकण्णाए होहि वरो एसिमो चक्की // 78 // // 79 // // 80 // // 81 // // 82 // // 83 // 300