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________________ // 48 // // 49 // // 50 // // 51 // // 52 // // 53 // जणणीए जाणणकए जे जे असमाणजाइणो जीवा / कोइलकायाइया विसरिसआयारकरणरया अंतो रायसहाए दीहसमक्खं तओ य दंसेइ / भणियं सकोववयणं अम्ह निगिण्हामि अहमेए अण्णो चिय जो मज्झं रज्जेणायारकारयजणो जो। . दूरं णिगिव्हियव्वो निरविक्कमणेण सो सव्वो एवं अणोरवारे विणिगिण्हतं तहा पहासंतं / दठूण बंभदत्तं दीहो चुलणी समुल्लवइ / णेयं परिणामसुहं जं जं पइएसु तुज्झ किल पुत्तो। सा भणइ बालरूवो एत्थ वरज्झइ न सब्भावो मुद्धे न अन्नहेयं आरूढो जुव्वणं इमं कुमरो। मज्झं तुब्भं मरणाय ही होही भणइ इय दोहो ता मारिज्जओ एसो केणावि अलक्खिए उवाएण / मइ साहीणे भद्दे अण्णे होर्हिति तुह तणुया रइरागपरवस ए इहपरभवकज्जबज्झचिंताए। चुलणीए पडिवणं धिरत्थु इत्थीण चरियाई जं सव्वलक्खणधरे लायण्णुक्करिसविजयकुसुमसरे / सव्वाविणयविरहिए नियपुत्ते वदसि जा एवं अहनाउमभिप्पायं धणुणा तो रज्जकज्जकुसलेण / भणिओ य दीहराया एस सुओ वरधणू मज्झ संपत्तजोव्वणभरो निव्वायसहो य रज्जकज्जाणं / वणगमणावसरो मे अणुजाणसु जामि जं तत्थ तो कइयवेण दीहेण भणिओ य अमच्च इत्थ णयरठिओ। दाणाइणा पहाणं करेसु परलोगणुट्ठाणं // 54 // // 55 // // 56 // // 57 // // 58 // // 59 // 298
SR No.004462
Book TitleShastra Sandesh Mala Part 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayrakshitvijay
PublisherShastra Sandesh Mala
Publication Year2005
Total Pages382
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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