________________ जायं पयागतित्थं देवेहि कयाइ जस्स महिमाए। गंगाए अंतगडं तं वंदे अनियापुत्तं // 99 // गुट्ठीभत्ते मासस्स पारणए रोहिणीइ कडुतुंबं / दिन्नं दयाइ भुत्तं धम्मरुई मुत्तिमणुपत्तो // 10 // उज्जुय अंगे पत्तेयबुद्धे रुद्दे य कोसियज्जे य। उज्झाए तब्भज्जा जयंति चउरो वि सिद्धाइं // 101 // भवियव्वं भो खलु सव्वकामविरएण एयमज्झयणं / भासित्तु देविलासुयरायरिसी सिवसुहं पत्तो // 102 // दोरयणिपमाणतणू जहन्नउगाहणाए जो सिद्धो / तमहं तिगुत्तिगुत्तं कुम्मापुत्तं नमसामि // 103 // जो सासयसुहहेऊ जाओ गुरुणो वि उवसमसहाओ। तं चंडरुद्दसीसं वंदे सेहं पि वरनाणि // 104 // बत्तीसं जुवइवई जो कायंदीपुरीइ पव्वइओ। छठुस्स सया पारणमुंज्झियमायंबिलं जस्स // 105 // वीरपसंसियतव-रूव-लच्छि नवमाससुकयपरियाओ। सो धन्नो सव्वढे पत्तो इक्कारसंगविऊ . // प्र० 25 // सो जयउ सीयलसूरी केवलनाणीण भायणिज्जाणं। दितेण भाववंदणमुवज्जियं केवलं जेणं - // 106 // पियदंसणो मुणीण वि जो मुणिदाणप्पभावओ जाओ। वीरसुसीसो पत्तो मासं संलिहिय सोहम्मे // 107 // माणुस्सं सामन्नं च पप्प कप्पे सणंकुमारम्मि। उववज्जिस्सइ एवं बंभे सुक्के य आणयए .. // 108 // आरणए सव्वढे तत्तो सिज्झिस्सई विदेहेसु / तमहं सुबाहुसाहुं नमामि इक्कारसंगधरं // 109 // 286