________________ // 31 // . // 32 // // 33 // // 34 // // 35 // // 36 // उन्मार्गदेशना मार्गप्रणाशो गूढचित्तता / आर्तध्यानं सशल्यत्वं मायाऽऽरम्भ-परिग्रहौ . शीलव्रते सातिचारे नील-कापोतलेश्यता / अप्रत्याख्यानकषायास्तिर्यगायुष आश्रवाः अल्पौ परिग्रहा-ऽऽरम्भौ सहजे मार्दवा-ऽऽर्जवे / कापोत-पीतलेश्यत्वं धर्मध्यानानुरागिता प्रत्याख्यानकषायत्वं परिणामश्च मध्यमः / संविभागविधायित्वं देवता-गुरुपूजनम् पूर्वालाप-प्रियालापौ सुखप्रज्ञापनीयता / लोकयात्रासु माध्यस्थ्यं मानुषायुष आश्रवाः सरागसंयमो देशसंयमोऽकामनिर्जरा / कल्याणमित्रसम्पर्को धर्मश्रवणशीलता . पात्रे दानं तपः श्रद्धा रत्नत्रयाविराधना / मृत्युकाले परीणामो लेश्ययोः यद्य-पीतयोः . बालतपो-ऽग्नि-तोयादिसाधनोल्लम्बनानि च / . अव्यक्तसामायिकता दैवस्याऽऽयुष आश्रवाः मनो-वाक्कायवक्रत्वं परेषां विप्रतारणम् / मायाप्रयोगो मिथ्यात्वं पैशुन्यं चलचित्तता। सुवर्णादिप्रतिच्छन्दकरणं कूटसाक्षिता। . वर्ण-गन्ध-रस-स्पर्शाद्यन्यथापादनानि च . अङ्गोपाङ्गच्यावनानि यन्त्र-पञ्जरकर्म च / कूटमान-तुला-कर्मा-ऽन्यनिन्दा-ऽऽत्मप्रशंसनम् हिंसा-ऽनृत-स्तेया-ऽब्रह्म-महारम्भ-परिग्रहाः / परुषा-ऽसभ्यवचनं शुचिवेषादिना मदः // 37 // // 38 // // 39 // // 40 // // 41 // // 42 // 20.