________________ युयुत्सूनां चतुर्थादिगुणस्थानेषु दोष्मताम् / सहायोऽहं भविष्यामि वैरिसंघातघातने // 7136 // पुरोभूय बभाषेऽथानुष्ठानेन पुरोधसा / योद्धरुत्थानसन्धानलाघवं करवाण्यहम् // 7137 // स्वाध्यायपाटवोद्योगप्रायान्तरपरिच्छदम् / शीतलानन्दकामाद्या मां भजन्तेऽखिला भटाः // 7 / 138 // उत्थितं पञ्चमायेषु गुणस्थानेषु वीक्ष्य माम् / विद्विषो नालमालस्यप्रायाः स्थातुं पुरः क्षणम् // 7 / 139 // एवं शेषा अपि भटा अशेषाः स्वस्वविक्रमम् / क्रमज्ञा ऊचुरौचित्यमत्यजन्तो महाशयाः // 7140 // तेषां प्रिया अपि प्रोचुरसंकोचमिदं वचः / युध्यमाना वयं वीक्ष्याः स्वामिन् ! साकं स्वभर्तृभिः // 7141 / / कुर्वाणाः संप्रहारेऽसिप्रहारैः प्रलयं द्विषाम् / . अबलेति परीवादं स्त्रीणां रोत्स्यामहे वयम् . // 7142 // एवं श्रुत्वा स्वतन्त्रस्य वाचमाचरणक्षमाम् / / विवेकभूपतिर्जातः प्रमोदोत्फुल्ललोचन: // 7143 // तदा चापूर्वपूर्वार्थपर्यालोचनसंज्ञिका / ध्वनयन्त्यच्युतपदं रणतूर्यालिरध्वनत् // 7144 // तेनातिव्याकुलीभूतो जाङ्गल्येव भुजङ्गमः / उदतिष्ठत युद्धाय मोहो रोषारुणेक्षणः // 7 / 145 // तारस्वरमथं प्रोचे हंहो शृणुत सैनिकाः / विवेकस्तावदायात एव केनाप्यवारितः // 7146 // अश्ववारा अमी तस्य परितः शिबिरं मम प्रसरन्त्युद्भट द्वीपं कल्लोला इव वारिधेः // 7 / 147 // 281