________________ // 5 // 234 // // 5235 // // 5 / 236 // // 5 // 237 // // 5 / 238 // // 5 / 239 // आरुह्य दुर्यशोघोषघण्टाटङ्कारडम्बरम् / कुमित्रसङ्गमातङ्गं प्रतस्थे मकरध्वजः बुभुक्षिता इव जगत्त्रयग्रसनलालसाः / तमन्वगुः ससंरम्भं हस्त्यश्वरथपत्तयः अहंपूर्विकया गज्जियलक्ष्मी वुवूर्षवः / सर्वे तमन्ववर्त्तन्त योधाः क्रोधारुणेक्षणाः अचलोच्चूलचूलाभिश्चतुरङ्गचमूचये / चलितेऽत्राचलाचक्रे के चिरं न चकम्पिरे ये शूरा ये च. संपन्नाश्चरटाः सुभटाश्च ये / जगत्सु युवतीयोधैर्युध्ध्वा ते जिग्यिरे जवात् दर्शनस्पर्शनक्रोडक्रीडालिङ्गनचुम्बनैः / स्तनपाणिपदाघातैः स्त्रीभिर्विश्वं वशीकृतम् भ्रूविभ्रमैटविलासैर्हाकारैर्लङ्कृतैर्हसैः / . उपालम्भै रोदनैश्च स्त्रीभिर्विश्वं वशीकृतम् . शक्त्या भक्त्या चाटुभङ्ग्या गीतनर्त्तनदेवनैः / कृत्रिमभ्रान्तिभीरोषैः स्त्रीभिर्विश्वं वशीकृतम् लाभिावश्व वशाकृतम् अप्सरोभिः सुरा नार्या नरा मत्स्या पुनर्झषाः / नाग्या नागाः शाकुन्या च वयसो वशया गजाः मृग्या मृगाश्च सिंह्या च पञ्चास्याः साधिताः सुखम् / किंबहूक्तेम रामाभिर्जिता एकेन्द्रिया अपि लग्नः स्त्रीयोध एकैको यावद्वेदं जनं प्रति / समर्थं वीक्ष्य भूयांसोप्यहो तत्सांयुगीनता सोऽपि स्वर्गसदां पाल्यशासन: पाकशासनः / भीमभग्नध्रुवा शच्या चाटुकोटीरशिक्ष्यत 233 // 5 / 240 // // 5 / 241 // // 5 / 242 // // 5 / 243 // // 5 / 244 // // 5 // 245 //