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________________ // 5 / 114 // // 5 / 115 // // 5 / 116 // // 5 / 117 // // 5 / 118 // // 5119 // कार्यारम्भे स्त्रियो वक्त्रं यः पश्येत्पुरुषः स किम् / इत्युदित्वोपहासेन मोहः प्रोचे ततस्ततः सोवग्भवविरागोस्य प्रथमस्तनयो नयी / प्रभुपादैजिता येन जन्तवः के न धीरिताः अपरौ तस्य संवेगनिर्वेदौ जयिनौ सुतौ / एकैकशो जगत्सृष्टिसमूलोन्मूलनक्षमौ चतस्रोस्य कृपामैत्रीमुदितोपेक्षया सह / नन्दन्यस्तरसा वीररसाधिष्ठायिका इव सम्यग्दृष्टिर्महामात्यस्तस्य सद्भिः प्रशस्यते / अपि प्रसादितो राजा वृथा यद्दर्शनं विना मार्दवार्जवसंतोषाः सहिताः प्रशमेन ते / सामन्तास्तस्य साम्राज्यवंशावष्टम्भरज्जव: तस्य राज्यं च सप्ताङ्गं सप्ततत्त्वावबोधतः / . दानादिधर्मभेदाश्च चतुरङ्गचमूबलम् बोधाख्यया तलारक्ष उत्साहो दण्डनायकः / कोशः सदागमः कोष्टागारश्च गुणसंग्रह: क्षयोपशमिको भावः शौल्कशालिकतां गतः / न्यायसंवादनामास्य श्रेष्ठी सर्वजनप्रियः . पञ्चापि व्यवहारास्ते तस्य कारणिका नराः / सामायिकादिषट्कर्मानुष्ठानाख्यः पुरोहितः रसभावविदस्तस्य सूदा धर्मोपदेशकाः / प्रायश्चित्ताख्यया नीराध्यक्षः कल्मषशुद्धिकृत् समाधिजननो भावः शय्यापालः प्रकीर्तितः / स्थगीधरः स एवास्य धर्मरागविवर्द्धनः // 5 / 120 // // 5 / 121 // // 5 / 122 // // 5123 // // 5 / 124 // // 5 / 125 // 223
SR No.004459
Book TitleShastra Sandesh Mala Part 09
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayrakshitvijay
PublisherShastra Sandesh Mala
Publication Year2005
Total Pages330
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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