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________________ // 5102 // // 5 / 103 // // 5/104 // // 5105 // // 5 / 106 // // 5 / 107 // द्विगुणेनापि लाभेन हर्षोत्र व्यवहारिणाम् / लाभे तत्राल्पयत्नेनानन्ते नोत्सेकभाग् जनः / ग्राहकेभ्यो भवन् लाभस्तत्र केनोपमीयताम् / दत्तैर्यन्माषकैर्लभ्याश्चञ्चत्काञ्चनकोटयः ये महत्त्वाधिका राज्ये शकचक्रयादयस्तव / तत्रत्यतनुऋद्धीनामपि ते दास्यकामिनः एवं नेत्रोत्सवं तन्वन्नगरश्रीनिरीक्षणैः / ययौ राज्यसभावस्थोऽन्यदा राजसभामहम् तत्र सद्भावसौधान्तः साधुसंगमपर्षदि। . सत्त्वसिंहासनासीनमदीनद्युतिमण्डलम् हृत्पाटवधृतश्वेतगुर्वादेशोष्णवारणम् / श्रीहीवारवधूत्क्षिप्ताचारचारिमचामरम् / वेत्रिणा कर्मविवरेणोपानीतमहाजनम् / ब्रह्मविद्गायनैर्गीयमानगौरगुणव्रजम् . शुभलेश्यानटीडब्धनाटकालोकलालसम् / निश्चयव्यवहाराक्षिपातज्ञातजगत्त्रयम् अष्टभिर्धीगुणैर्वण्ठैः सोत्कण्ठैः सेवितक्रमम् / गुणाभरणसंभारसंभवाभासुभासुरम् कृतषत्रिंशदाचार्यगुणस्मृत्यायुधश्रमम् / खारतर्यास्फुरत्खड्गदण्डदोर्दण्डमण्डनम् विचारबालमित्रेण सममैक्यमिवागतम् / विवेकाख्यं क्षमापालमदर्श दर्शनप्रियम् तस्याग्रमहिषी तत्त्वरुचिर्नाम सदा शुचिः। आस्यमालोकते यस्याः प्रेम्णा प्रेयान् पदे पदे 22 // 5 / 108 // .. / // 5109 // // 5 / 110 // // 5 / 111 // // 5112 // / // 5113 / /
SR No.004459
Book TitleShastra Sandesh Mala Part 09
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayrakshitvijay
PublisherShastra Sandesh Mala
Publication Year2005
Total Pages330
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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