________________ // 4 // 36 // // 4 // 37 // // 4 // 38 // // 4 // 39 // // 4 // 40 // // 4|41 // प्रमादस्तस्य सेनानीः सांयुगिनोऽरिसेनया / येनाधश्चक्रिरे शान्तमोहा अपि महाभटाः वेदाः कारणिकास्तस्य सर्वतृप्तिपरायणाः / लोकाः प्रायो न लुम्पति व्यवहारं यदुद्भवम् चण्डभावस्तलारक्षः परक्षोभकरो दृशा / व्याक्षेपो नगरश्रेष्ठी महाजनमन:प्रियः कोशाऽकुशलकर्माणि कोशाध्यक्षोऽस्य सञ्चयः / समस्तवस्तुस्तोमस्य साक्षी सङ्गश्च शौल्किकः पुरोधा विघ्नरोधाय सज्जः पाखण्डिसंस्तवः / गौरवाख्या गुप्तिपाला अस्पृशन्तः कृपालुताम् शय्यापालस्तथाऽऽलस्यनामा तस्य प्रियङ्करः / . अम्भोधिकारी शापाख्यः क्रूरधीः कुम्भसङ्ग्रही सूदाः कुकवयो नानारसोल्लासविशारदाः / . मुखे जागरयन् रागं प्रेमालापः स्थगीधरः . हर्षशोकौ मिथो मल्लौ युध्येते तस्य संसदि / अव्यवस्थं मिथः पातोत्पातकौतुककारिणौ मोहस्योपपदं दुष्टाध्यवसाया महाभटाः / आनयंत्यभितो भ्रान्त्वा जनान् परपथं यतः आत्मोत्कर्षपराक्षेपादयो ये मुख्यबन्धवः / तेऽमुमेवानुवर्तन्ते नभःस्वन्तमिवाम्बुदाः एवं मोहमहीपस्य शृण्वती प्राभवं नवम् / निवृत्तिः साङ्गजा जज्ञे जवना पवनादपि जङ्घालत्वेन दीर्घाध्वलचनात्सा घनक्लमा / विशश्रमिषुरद्राक्षीत्पुरस्ताद्यज्ञवाटकम् // 4 // 42 // // 4 // 43 // // 4 // 44 // // 4 / 45 // // 4 / 46 // // 4 // 47 // .. 181