________________ ||4 // 24 // . // 4 // 25 // // 4 // 26 // // 4 // 27 // // 4 // 28 // // 4 // 29 // त्रयोदशक्रियास्थानवण्ठसंवाहितक्रमः / अलङ्कारोक्तिभङ्गीभिः कृतसर्वाङ्गमण्डनः . निस्त्रिंशताखड्गलताविराजितभुर्जागलः / चार्वाकवालमित्रेण समं केलिकुतूहली श्रीमान्मोहनृपो राज्यमाज्यसिक्ताग्निदीप्तिभूः। अपालयदिलापालपालिपालितशासनः जडताऽजनि तारुण्यपुष्टाङ्गी तस्य वल्लभा / . पतिव्रता पतिद्विष्टे या न पुंसि प्रसीदति / तत्कुक्षिकन्दरकोडे केशरी मकरध्वजः / . यः प्रतापांशुना विश्वं क्षोभयन् ज्येष्टतां ययौ प्रीत्यप्रीतिधनाप्त्याद्यास्तस्य पत्न्योऽपरा अपि। पत्युर्भाग्यान्मिथो नाभंद्यासां सापल्यमत्सरः रागद्वेषारम्भमुख्यास्तासां पुत्राः सहस्रशः / यदाज्ञां दधते मूर्जा शकचक्रधरादयः अभिध्यामारिचिन्ताद्यास्तस्य पुत्र्योऽप्यनेकशः / या भ्रातृभ्यो न हीयन्ते पौरुषेण रणाङ्गणे यौवराज्यधुरं तस्य विपर्यासः प्रपन्नवान् / सति यस्मिन्न राज्यस्य चिन्ता कापि महीपतेः सर्वकर्मसु मर्मज्ञो मिथ्याक्तस्य मन्त्र्यभूत् / यन्मुद्रया त्रिलोकान्तर्भ्राम्यत्यस्खलितं जनः सामन्ता दुर्मनोयोगाः समन्तादनुवर्तिनः / विगृह्य ये स्वयं शāस्तन्वन्ति स्वामिनो यशः क्रोधमानदम्भलोभाभिधा माण्डलिकाः पुनः / / एकैकस्यापि यस्योच्चैरविषह्यः पराक्रमः // 4 // 30 // // 4 // 31 // / // 4 // 32 // // 4 // 33 // // 4 // 34 // // 435 // . 180