________________ // 15 // // 16 // // 17 // // 18 // // 19 // // 20 // अहवा जह सुमिणय पावियम्मि रज्जाई इट्ठवत्थुम्मि। खणमेगं हरिसिज्जंति पाणिणो पुण विसीयंती . कइवयदिणलद्धेहिं तहेव रज्जाइएहिं तूसंति / विगएहि तेहिं वि पुणो जीवा दीणत्तणमुवेंति रुप्पकणयाई वत्थु जह दीसइ इंदयालविज्जाए। खणदिट्ठनट्ठरूवं तह जाणसु विहवमाईयं संझब्भरायसुरचाव-विब्भमे घडण विहडणसरूवे / विहवाइ वत्थुनिवहे किं मुज्झसि जीव ! जाणतो? पासायसालसमलंकियाइं जइ नियसि कत्थइ थिराई। गंधव्वपुरवराई तो तुह रिद्धी वि होज्ज थिरा धणसयणबलुम्मत्तो निरत्थयं अप्प ! गविओ भमसि / जं पंचदिणाणुवरिं न तुम न धणं न ते सयणा कालेण अणंतेणं अणंतबलचक्किवासुदेवा वि / पुहइए अइक्कंता कोऽसि तुमं? को य तुह विहवो ? भवणाई उववणाई सयणासणजाणवाहणाईणि। निच्चाई न कस्सइ नविय कोइ परिरक्खिओ तेहिं मायापिईहिं सहवड्डिएहि मित्तेहिं पुत्तदारेहि। एगयओ सहवासो पीई पणओ वि य अणिच्चो बल-रूव-रिद्धि-जोव्वणपहुत्तणं सुभगया अरोयत्तं / इटेहि य संजोगो असासयं जीवियव्वं च इय जं जं संसारे रमणिज्जं जाणिऊण तमणिच्चं। निच्चम्मि उज्जमेसु धम्मे च्चिय बलिनरिंदो व्व रोयजरामच्चुमुहागयाण बलिचक्किकेसवाणं पि। भुवणे वि नत्थि सरणं एवं जिणसासणं मोत्तुं GO // 21 // // 22 // // 23 // // 24 // // 25 // // 26 //