________________ // 27 // // 28 // // 29 // // 30 // // 31 // // 32 // जरकाससाससोसाइ-परिगयं पेच्छिऊण घरसामि / जाया जणणिप्पमुहं पासगयं झूरइ कुडुम्बं न विरिंचइ पुण दुक्खं सरणं ताणं च न हवइ खणं पि / वियशाओ तस्स देहे नवरं वड्ढंति अहियाओ बहुसयणाण अणाहाण वा वि निरुवायवाहि विहुराणं / दुण्हं पि निव्विसेसा असरणया विलवमाणाणं विहवीण दरिदाण य सकम्मसंजणियरोयतवियाणं / कंदंताण सदुक्खं को णु विसेसो असरणत्ते ? तह रज्जं तंह विहवो तह चउरंगं बलं तहा सयणा / कोसंबिपुरीराया न रक्खिओ तह वि रोगाणं सविलासजोव्वणभरे वर्सेतो मुणइ तणसमं भुवणं / पेच्छइ न उच्छरंतं जराबलं जोव्वर्णदुमग्गिं नवनव विलास संपत्तिसुत्थियं जोव्वणं वहंतस्स / चित्ते वि न वसइ इमं थेवंतरमेव जरसेनं . अह अन्नदिणे पलियच्छलेण होऊण कण्णमूलम्मि। धम्मं कुणसु त्ति कहंति हव्वं निवडइ जराधाडी निवडंती य न एसा रक्खिज्जइ चक्किणो वि सेन्नेण। जं पुण न हुंति सरणं धणधन्नाईणि किं चोज्जं? वलिपलियदुरवलोयं गलंतनयणं घुलंलमुहलालं / रमणीयणहसणिज्जं एइ असरणस्स वुड्ढत्तं जरइंदयालिणीए कावि हयासाए असरिसा सत्ती। कसिणां वि कुणइ केसा मालइकुसुमेहिं अविसेसा दलइ बलं गलइ सुइं पाडइ दसणे निरंभए दिहूिँ। जररक्खसी बलिण वि भंजइ पिट्टि पि सुसिलिटुं // 33 // // 34 // // 35 // // 36 // // 37 // // 38 // 91