________________ // 414 // अमय समो नत्थि रसो, न तरू कप्पद्रुमेण परितुल्लो / विणय समो नत्थि गुणो, न मणी चिंतामणि सरिच्छो चंदण तरूण गंधो, जुण्हा ससिणो सिअत्तणं संखे / सह-निम्मियाई विहिणा, विणओ अ कुलप्पसूयाणं // 415 // हुज्ज असज्झं मन्ने, मणिमंतोसहि सुराण वि जयम्मि। नत्थि असझं कज्जं, किंपि विणीआण पुरिसाणं // 416 // इहलोय च्चिय विणओ, कुणइ विणीयाण इच्छिअं लच्छिं। जह सीहरहाईणं, सुगइनिमित्तं च परलोए // 417 // किं बहुणा विणओ च्चिय, अमूलमंतं जए वसीकरणं / इहलोय परलोइ य, सुहाण मणवंछिय-फलाणं // 418 // विणय विसेसो य तहा, आयरिअ गिलाण सेहमाईणं / / दसविह वेयावच्चं, करिज्ज समए जओ भणियं // 419 // भरहे-रवय-विदेहे, पन्नरस वि कम्मभूमिया.साहू। इक्कम्मि पूईयम्मि, सव्वे ते पूईया हुंति . // 420 // इक्कम्मि हीलयम्मि, सव्वे ते हीलिया मुणेअव्वा / नाणाईण गुणाणं, सव्वत्थ वि तुलभावाओ // 421 // तम्हा जइ एस गुणो, साहूणं भत्तपाणगाईहिं / कुज्जा वेयावच्चं, धणयसुओ रायतणउ व्व // 422 // वेयावच्चं निययं, करेह उत्तम गुणे धुरंताणं / सव्वं किर पडिवाई, वेयावच्चं अपडिवाई // 423 // पडिभग्गस्स मयस्स व, नासइ चरणं सुअं अगुणणाए / न हु वेयावच्च कयं, सुहोदयं नासए कम्म // 424 // गिहिणो वेआवडिए, साहूणं वण्णिया बहूदोसा। जह साहुणी सुभद्दाइ तेण य विसए तयं कुज्जा // 425 //