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________________ // 270 // // 271 // // 272 // // 273 // // 274 // // 275 / / अंगुलपहुत्त रसणं, फरिसं तु सरीरवित्थडं भणियं / बारसहिं जोयणेहिँ, सोय परिगिण्हए सदं रूवं गिण्हइ चक्खं , जोयण लक्खाओ साइरेगाओ। गंधं रसं च फासं, जोयण नवगाओ सेसाई अंगुलअसंखभागो, मुणंति विसय जहन्नओ मुत्तुं / चक्खं तं पुण जाणइ, अंगुलसंखिज्जभागाओ इय नाय तस्सरूवो, इंदियतुरए सएसु विसएसु / अणवरयधायमाणे, निगिण्हए नाणरज्जूहिं तहसूरो तहमाणी, तहविक्खाओ जयम्मि तहकुसलो। अजियंदियत्तणेणं, लंकाहिवई गओ निहणं देहट्ठिएहिं पंचहि, खंडिज्जइ इंदिएहि माहप्पं / जस्स स लक्खं पि बहि, विणिज्जिणंतो कहं सूरो सुच्चिय सूरो सो चेव, पंडिओ तं पसंसिमो.निच्वं / इंदियचोरेहिं सया, न लुटियं जस्स चरणधणं सोएण सुभद्दाई, निहया तह चक्खुणा वणिसुयाई / घाणेण कुमाराई, रसणेण हया नरिंदाई फासिदिएण वसणं, पत्ता सोमालिया नरेसाई। इक्किक्केण वि निहया, जीवा किं पुण समग्गेहि सेवंति परं विसमं, विसंति दीणं भणंति गरुया वि। इंदियगिद्धा इहई, अहरगयं जंति परलोए नारयतिरियाय भवे, इंदियविसगाण जाइं दुक्खाई। मन्ने मुणिज्ज नाणी, भणिउं पुण सो वि न समत्थो तो जिणसु इंदियाई, हणसु कसाए य जइ सुहं महसि / सकसायाण न जम्हा, फलसिद्धि इंदियजए वि // 276 // // 277 // // 278 // // 279 // // 280 // // 281 //
SR No.004458
Book TitleShastra Sandesh Mala Part 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayrakshitvijay
PublisherShastra Sandesh Mala
Publication Year2005
Total Pages346
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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