________________ नेरइआण वि दुरक्खं, जिज्झइ कालेण किं पुण नराणं / ता न चिरं तुह होही, दुक्खमिणं मा समच्चियसु // 222 // इय भावंतो सम्म, खंतो दंतो जिइंदिओ होउं / हत्थिव्व अंकुसेणं, मग्गम्मि ठवेसु नियचित्तं // 223 // जम्हा न कज्जसिद्धी, जीवाण मणम्मि अट्ठिए ठाणे / इत्थं पुण आहरणं, पसन्नचंदाइणो भणिया // 224 // अहर-गइ-पडियाणं, किलिट्ठचित्ताण नियडि बहुलाणं / सिरितुंडमुंडणेणं, न वेसमित्तेण साहारो // 225 // वेलंबगाईएसु वि, दीसइ लिंगं न कज्जसंसिद्धी। पत्ताइं च भवोहे, अणंतसो दव्वलिंगाई // 226 // तम्हा परिणामुच्चिय, साहइ कज्जं विणिच्छिओ एसो। ववहारनयमएणं, लिंगग्गहणं पि निद्दिटुं // 227 // जइ जिणमयं पवज्जह, ता मा ववहारनिच्छए मुयह / ववहारनओच्छेए, तित्थुच्छेओ जओ भणिओ // 228 // ववहारो विहु बलवं, जं वंदइ केवली वि छउमत्थं / आहाकम्मं भुंजइ, सुयववहारं पमाणतो // 229 // तित्थयरुद्देसेण वि, सिढिलिज्ज न संजमं सुगइमूलं / तित्थयरेण वि जम्हा, समयम्मि इमं विणिद्दिटुं // 230 // चेइय कुलगण संघे, आयरिआणं च पर्वयण सुए य / सव्वेसु वि तेण कयं, तवसंजममुज्जमंतेण // 231 // सव्वरयणामएहिं, विभूसियं जिणहरेहिं महिवलयं / जो कारिज समग्गं, तउवि चरणं महिड्डियं // 232 // दव्वत्थओ य भावत्थओ या दव्वत्थओ बहुगुणु त्ति बुद्धिसिया / अनिउणमइ-वयणमिणं, छज्जीवहियं जिणा बिति // 233 // //