________________ // 174 // // 175 // // 176 // // 177 // // 178 // // 179 // इरिया भासा एसण, आयाणे तह पटुिवणसमिई / मण-वयण-काय-गुत्ती, एआउ जहक्कम वुच्छं आलंबणे अ काले, मग्गे जयणा य चउहि ठाणेहिं / परिसुद्धं रियमाणो, इरियासमिओ हवइ साहू नाणाइ आनंबण, कालो दिवसो अ उप्पहविमुक्को। मग्गे जयणा य पुणो, दव्वाइ चउव्विहो इणमो जुगमित्तनिहियदिट्ठी, खित्ते दव्वम्मि चक्खुणा पेहे। कालम्मि जाव हिंडइ, भावे तिविहेण उवउत्तो उड्ढमुहो कहरत्तो, हसिरो सद्दाइएसु रज्जंतो। सज्झायं चितंतो, रीइज्ज न चक्कवालेण तह हुज्ज रियासमिओ, देहे वि अमुच्छिओ दयापरमो। जह संथुओ सुरेहिं वि, वरदत्तमुणी महाभागो कोहाईहिं भएण व, हासेण व जो न भासए भासं। मोहर-विगहाहि तहा, भासासमिओ स विन्नेओ बहुयं लाघव-जणयं, सावज्जं निढरं असंबद्धं / गारत्थियजणउचियं, भासासमिओ न भासिज्जा न विरुज्झइ लोयट्टिई, वाहिज्जइ जेण नेय परलोउ। तह निउणं वत्तवं, जह संगयसाहुणा भणियं आहारोवहिसिज्जं, उग्गमउप्पायणेसणासुद्धं / गिण्हइ अदीणहिअओ, जो होइ स एसणासमिओ आहार-मित-कज्जे, सह सच्चिय जोवलंघइ जिणाणं / कह सेसगुणे धरिही, सुदुद्धरे सो जओ भणियं जिणसासणस्स मूलं, भिक्खायरिया जिणेहिं पन्नत्ता। . इत्थ परितप्पमाणं, तं जाणसु मंदसद्धीअं // 180 // // 181 // // 182 // // 183 // // 184 // // 185 // 1