________________ बहुवेरकलहमूलं, नाऊण परिग्गहं पुरिससीहा। ससरीरे वि ममत्तं, चयंति चंपाउरिपहु व्व // 162 // पच्चक्ख नाणिणो विहु, निसिभत्तं परिहरंति वहमूलं। लोइयसिद्धतेसु वि, पडिसिद्धमिणं जओ भणियं // 163 // बंभाइतेअसंभूयं, भाणुं जंपंति वेअवी। पुटुं करेहितो तस्स, सुहं कम्मं समायरे - // 164 // रिसीहिं भुत्तं मज्झण्हे; पुव्वण्हे तिअसेहि य।' अवरहे पियरेहि, सायं भुंजंति दाणवा' . // 165 // संजाए जक्खरखेहि, भुत्तमेवं जहक्कमं / . सव्ववेलावइकम्मं, राओभुत्तमभोयणं // 166 // न वाहुई न वा न्हाणं, न सद्धं देवयच्चणं / दाणं वा विहियं राओभोयणं तु विसेसओ // 167 // इय अन्नाण वि वज्जं, निसिभत्तं विविहजीववहजणयं / छज्जीव-हिअ-रयाणं, विसेसंओ जिणमयठियाणं // 168 // इह लोगम्मि वि दोसा, रविगुत्तस्सव भवंति निसिभत्ते / परलोए सविसेसा, निद्दिट्ठा जिणवरिंदेहि // 169 // अलमित्थपसंगेणं, रक्खिज्ज महव्वयाइं जत्तेणं / / अइदुसहमज्जियाई, रयणाई दरिद्द-पुरिसु व्व // 170 // ताणं च तत्थुवाओ, पंचय समिओ तिन्निगुत्तीओ। जासु समप्पइ सव्वं, करणिज्जं संजयजणस्स // 171 // पवयणमायाउ इमा, निद्दिट्ठा जिणवरेहि समयम्मि। . मायं एयासु जओ, जिणभणियं पवयणमसेसं // 172 // सुयसागरस्स सारो, चरणं चरणस्स सारमेयाओ। समिई-गुत्तीण परं, न किंचि अन्नं जओ चरणं / // 173 // So