________________ // 150 // // 151 // // 152 // // 153 // // 154 // // 155 // वसुनरवईणो अयसं, सोऊण असच्चवाइणो कित्तिं / सच्चेण नारयस्स वि, को नाम रमिज्ज अलियम्मि अवि दंतसोहणं पि हु, परदव्वमदिनयं न गिव्हिज्जा। इहपरलोयगयाणं, मूलं बहुदुक्खलक्खाणं तइअवए दढत्तं, सोउं गिहिणो वि नागदत्तस्स। कह तत्थ हुंति सिढिला, साहू कयसव्वपरिचाया नवगुत्तीहि विसुद्धं, धरिज बंभं विसुद्धपरिणामो / सव्ववयाण वि पवरं, सुदुद्धरं विसयलुद्धाणं देवेसु वीयराओ, चारित्ती उत्तमो सुपत्तेसु / दाणाण-मभयदाणं, वयाण बंभळ्वयं पवरं धरउ वयं चरउ तवं, सहउ दुहं वसउ वणनिगुंजेसु / बंभवयं अधरंतो, बंभा विहु देइ मह हासं जं किंचि दुहं लोए, इहपरलोउभवं पि अइदुसहं / तं सच्चं चिय जीवो, अणुभुंजइ मेहुणासत्तो. नंदतु निम्मलाई, चरिआइ सुदंसणस्स महरिसिणो। तह विसमसंकडेसु वि, बंभवयं जस्स अक्खलियं वंदामि चरणजुयलं, मुणिणो सिरिथूलभद्दसामिस्स। जो कसिणभुयंगीए, पडिऔ वि मुहे न निदूसिओ जइ वहसि कह वि अत्थं, निग्गंथं पवयणं पवनो वि / निग्गंथत्ते तो सासणस्स मइलत्तणं कुणसि तं मइलणा उ सत्थे, भणिया मूलं पुणब्भवलयाणं / तो निग्गंथो अत्थं, सव्वाणत्थं विवज्जिज्जा जई चक्कवट्टिरिद्धि, लद्धं पि चयंति केइ सप्पुरिसा / को तु असंतेसु वि, धणेसु तुच्छेसु पडिबंधो // 156 // // 157 // .. // 158 / / // 159 // // 160 // / / 161 // पट