________________ इय अट्ठारस भेया, पुरिसस्स तहित्थियाइ ते चेव / गुव्विणि सबालवच्छा, दुन्नि इमे हुँति अन्ने वि // 126 // पंडए वाइए कीवे, कुंभी इसालुअत्तिअ / सउणी तक्कम्मसेविअ, पक्खियावपक्खिए इअ // 127 // सोगंधिए अ आसित्ते, दसे एए नपुंसगा। संकिलिट्ठ त्ति साहूणं, पव्वावेउं अकप्पिआ // 128 // वद्धिए वप्पिए चेव, मंतओसहिउवहए। इसिसत्ते देवसत्ते अ, पव्वाविज्ज नपुंसए // 129 // महिलासहावो सरवन भेओ, मिढिं महंतं मउआ य वाणी। ससद्दयमुत्त-मफेणगं च, एयाणि छप्पंडगलक्खणाणि // 130 // बालाइदोसरहिओ, उवढिओ जइ हविज्ज चरणत्थं / तं तस्स पउत्तालो-अणस्स सुगुरूहि दायव्वं // 131 / / आलोयण-सुद्धस्स, वि दिज्ज विणीयस्स नाविणीयस्स / न हि दिज्जइ आहरणं, पलिअत्तिअ कन्नहत्थस्स // 132 // अणुरत्तो भत्तिगओ, अमुई अणुअन्तओ विसेसन्नू / उज्जुत्तो परितंतो, इत्थिय-मत्थं लहइ साहु विणयवओ वि हु कयमंगलस्स, तदविग्घपारगमणाय / दिज्जसु कओवओगो, खित्ताइसु सुप्पसत्थेसु // 134 // इय एवमाइ विहिणा, पाएण परिक्खिऊण छम्मासं। पव्वज्जा दायव्वा, सत्ताणं भवविरत्ताणं // 135 // विहिपडिवनचरित्तो, दढधम्मो जइ अवज्जभीरू य / तो सो उवट्ठविज्जइ, वएसु विहिणा इमो सो उ // 136 // पढिए अ कहिअअहिगय, परिहारुट्ठावणाइ सोकप्पो। ' छज्जीवघायविरओ, तिविहं तिविहेण परिहारी // 137 // પ