________________ सावज्जजोगविरई, चरणं आहेण देसियं समए। भेएण उ दुविगप्पं, देसे सव्वे अ नायव्वं . . // 114 / / देसचरणं गिहीणं, मूलत्तर-गुण-विगप्पओ दुविहं / मूले पंच अणुव्वय, उत्तरगुण दिसिवयाईया // 115 // पंचय अणुव्वयाई, गुणव्वयाइं च हुंति तिन्नेव। सिक्खावयाई चउरो, सव्वं चिय होइ बारसहा - // 116 // मूलत्तरगुणभेएण, सव्वचरणं पि वन्नियं दुविहं / मूलगुणेसु महव्वय, राई-भोयण-विरमणं च // 117 // पिंडविसोही समई, भावण पडिमा य इंदियनिरोहो। पडिलेहण गुत्तीओ, अभिग्गहा उत्तरगुणेसु // 118 // इय एवमाइभेयं, चरणं सुरमणुयसिद्धिसुहकरणं। जो अरिहइ घित्तुंजे, तमहं वुच्छं समासेणं // 119 // संवेगभाविअमणो, सम्मत्ते निच्चलो थिरपइन्नो। विजिइंदिओ अमाई, पन्नवणिज्जो किवालु य // 120 // जइधम्मम्मि वि कुसलो, धीमं आणारुई सुसीलो अ। विनाय तस्सरूवो, अहिगारी देसविरईए // 121 // पाएण हुँति जोगा, पव्वज्जाए वि तिच्चिय मणुस्सा। देस-कुलाइ सुद्धा, बहु खीणप्पाय कम्मंसा // 122 // अट्ठारस पुरिसेसुं, वीसं इत्थीसु दस नपुंसेसुं / जिण पडिकुट्ठ त्ति तओ, पव्वावेउं न कप्पंति // 123 // बाले वुड्ढे नपुंसे य, कीवे जडे य वाहिए। तेण रायावगारी य, उम्मत्ते य अदंसणे . // 124 // दासे दुढे अ मूढे अ, अणुत्ते जुंगिए इअ। .. उबद्धए अ भयए, सेहनिप्फेडियाई य . // 125 // मा किवालु य પક